नई परेशानी: डेंगू के लक्षण दिख रहे, रिपोर्ट आ रही निगेटिव
- मल्टीपल वायरल से परेशान हो रहे मरीज
- डेंगू के लक्षण
- निगेटिव रिपोर्ट
डिजिटल डेस्क, नागपुर. साल की शुरूआत से ही कई बार मौसम के विपरीत माहौल रहा। गर्मी के दिनों में बारिश और बारिश के दिनों में गर्मी का एहसास होता रहा है। मौसम के अचानक होनेवाले बदलाव के चलते बीमारियों का प्रमाण बढ़ गया है। एक ओर संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ गया है, वहीं हर दूसरे घर में सर्दी, बुखार, खांसी, बदनदर्द के मरीज पाए जा रहे हैं। वहीं डेंगू जैसे बुखार के कारण मरीजों को परेशान कर रखा है। रक्त जांच में भले ही इनकी रिपोर्ट निगेटिव आ रही है, लेकिन उनके लक्षण डेंगू जैसे ही हैं। यह मरीज सर्दी, खांसी, अचानक बुखार आना, पीठ दर्द आदि से परेशान हैं। इसे मल्टिपल वायरल कहा जा रहा है।
संदेह के आधार पर रक्त जांच की सलाह
इन दिनों सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में पहुंचनेवाले मरीजों में सर्दी, खांसी, बुखार, बदनदर्द जैसी शिकायतें अधिक प्रमाण में देखी जा रही हैं। सूत्रों के अनुसार मेडिकल की ओपीडी में औसत 2200 से अधिक मरीज जांच व उपचार के लिए आते हैं। उनमें सभी तरह के मरीज होते हैं। इनमें सामान्य बुखार के मरीजों की संख्या 15 फीसदी यानि 330 होती है। इन दिनों यह संख्या बढ़ चुकी है। अब सामान्य बुखार के मरीज 20 फीसदी हो चुके हैं। यानि अब सामान्य बुखार के मरीजों की संख्या 440 और कभी कभी इससे अधिक हो जाती है। वहीं मेयो अस्पताल में औसत 1600 की ओपीडी है। यहां भी मेडिकल जैसी ही स्थिति है। सामान्य बुखार के मरीजों में अधिकतर में डेंगू जैसे लक्षण दिखाई दे रहे हैं। ऐसे मरीजों को रक्त जांच की सलाह दी जाती है। लेकिन रक्तजांच के बाद डेंगू निगेटिव होने का पता चल रहा है। इसे मल्टिपल वायरल कहा जा रहा है। इसमें मरीजों में सामान्य बुखार के साथ ही डेंगू के लक्षण भी होते हैं। खास कर पीठ दर्द अधिक हाेता है। पीठदर्द होने से ही डेंगू की जांच जरुरी बताई जाती है।
करवा रहे विविध जांच
सूत्रों के अनुसार पांच से सात दिन तक लगातार बुखार होने पर मरीज व परिजन दहशत में आ जाते हैं। पहले वे सरकारी अस्पताल जाते हैं। वहां तुरंत आराम नहीं होने पर निजी अस्पतालों का रुख कर रहे हैं। कुछ निजी अस्पताल वाले मरीजों को भर्ती करने के बाद ही उपचार करना शुरू कर देते है। ऐसे मरीजों को 8-10 दिन अस्पतालों में ही रखा जा रहा है। भर्ती करने पर मरीजों को विविध जांच व उपचार के नाम पर हजारों रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं। सरकारी अस्पताल मेयो, मेडिकल, डागा शासकीय आयुर्वेद अस्पताल समेत निजी अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ चुकी है। अकेले मनपा अस्पतालों में ही सात हजार से अधिक संदेहास्पद सैंपलों की जांच करवाई है। मेडिकल में महीनेभर में तीन हजार और मेयो में 2500 से अधिक सैंपलों की जांच की गई है। इसके अलावा अलग-अलग लैब में सैंपलों की जांच की जा रही है।