सुनवाई: सुनील केदार की हाई कोर्ट में याचिका
अर्जी सत्र न्यायालय ने खारिज कर दी
डिजिटल डेस्क, नागपुर। एनडीसीसी बैंक घोटाले के मामले में अतिरिक्त मुख्य न्याय दंडाधिकारी ने कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री सुनील केदार को दोषी करार देते हुए 5 साल कैद की सजा सुनाई है। इस मामले में केदार द्वारा दोषसिद्धि को स्थगिती, सजा को निलंबन और जमानत के लिए दायर की गई अनुरोध अर्जी सत्र न्यायालय ने खारिज कर दी। इसलिए अब केदार ने बॉम्बे हाई कोर्ट के नागपुर खंडपीठ में याचिका दायर की है।
इसलिए शरण में, जानें पूरा मामला
एनडीसीसी बैंक घोटाले में हुए 150 करोड़ रुपए के मामले में अतिरिक्त मुख्य न्याय दंडाधिकारी ने बैंक के तत्कालीन अध्यक्ष सुनील केदार, बैंक के तत्कालीन महाप्रबंधक अशोक चौधरी, रोखे दलाल केतन सेठ, अमित वर्मा, सुबोध भंडारी और नंदकिशोर त्रिवेदी को दोषी करार देते हुए 5 साल की सजा और 12.50 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। इस फैसले को सत्र न्यायालय में चुनौती देते हुए सुनील केदार सहित अन्य आरोपीयों ने सजा का निलंबन और जमानत की मांग की थी। सत्र न्यायाधीश आर. एस. पाटील (भोसले) ने केदार की जमानत अर्जी नामंजूर की थी। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि, इस घोटाले से हजारों किसानों और आम लोगों को नुकसान हुआ है। इसलिए केदार को जमानत पर रिहा करने से समाज में गलत संदेश जाएगा। सत्र न्यायालय के फैसले को अब केदार ने वकील देवेन चौहान के माध्यम से हाई कोर्ट में अपील की है।
अन्य आरोपियों की जमानत पर 4 को फैसला
सभी आरोपियों ने सत्र न्यायालय में सजा को निलंबन और जमानत के लिए अनुरोध अर्जी दायर की है, लेकिन सुनील केदार के अलावा अन्य आरोपियों ने जुर्माने की राशि जमा नहीं की है। इसलिए कोर्ट ने सिर्फ सुनील केदार के मामले में फैसला देते हुए जमानत अर्जी नामंजूर की थी। अन्य आरोपियों के जमानत अर्जी पर गुरुवार को फैसला हाेने की संभावना है।
विशेष सरकारी वकील की नियुक्ति की संभावना
इस मामले में अतिरिक्त मुख्य न्याय दंडाधिकारी की कोर्ट में सुनील केदार की ओर से वरिष्ठ विधिज्ञ सुबोध धर्माधिकारी और एड. देवेन चौहान ने पैरवी की थी। राज्य सरकार ने विशेष सरकारी वकील के तौर पर नाशिक के प्रमुख जिला सरकारी वकील अजय मिसार को नियुक्त किया था। सत्र न्यायालय में भी केदार की ओर से एड. चौहान और राज्य सरकार की ओर से एड. मिसार ने पैरवी की थी। अब मामला हाई कोर्ट में पहुचा है। इस मामले में राज्य सरकार की ओर से विशेष सरकारी वकील नियुक्त करने की संभावना जताई जा रही है।