हाईकोर्ट: राज्य के मुख्य सचिव हाजिर हों, विदर्भ के अधूरे सिंचाई प्रकल्प को लेकर लगाई फटकार
- 856 करोड़ का भेजा प्रस्ताव
- पांच साल बाद फंड मंजूर
- 26 हजार घरों के पंचनामे
डिजिटल डेस्क, नागपुर. एक ओर अंबाझरी बांध की सुरक्षा को लेकर सरकार गंभीर नहीं, वहीं दूसरी ओर विदर्भ के अधूरे सिंचाई प्रकल्पों पर संतोषजनक जवाब दायर न करने के वजह से बुधवार को बॉम्बे हाई कोर्ट के नागपुर खंडपीठ ने राज्य सरकार सहित अन्य प्रतिवादियों को जमकर फटकार लगाई। साथ ही राज्य के मुख्य सचिव को गुरुवार कोर्ट में हाजिर रहने के आदेश दिये। न्या. नितीन सांबरे और न्या. अभय मंत्री के समक्ष इन दोनों जनहित याचिकाओं पर सुनवाई हुई। जनहित याचिका पर आज बुधवार को हुई सुनवाई में नगर विकास विभाग के मुख्य सचिव की ओर से मनपा के अतिरिक्त आयुक्त द्वारा शपथ-पत्र दायर करने की बात सामने आयी। इस पर कोर्ट ने नाराजी जताई। कोर्ट ने यह सवाल किया कि, नगर विकास विभाग और मनपा यह दो अलग संस्थान है तो अतिरिक्त मनपा आयुक्त ने यह शपथ-पत्र कैसे दायर किया? इससे अंबाझरी बांध की सुरक्षा पर सरकार कितना गंभीर है, यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है। इसलिए कोर्ट ने सीधे राज्य के मुख्य सचिव को ही कोर्ट में हाजिर रहने को कहा है। गुरुवार 2.30 बजे मामले पर सुनवाई रखी है। याचिकाकर्ता की ओर से एड. तुषार मंडलेकर, मनपा की ओर से वरिष्ठ विधिज्ञ एस. के. मिश्रा और एड. जेमिनी कासट ने पैरवी की।
यह है सिंचाई प्रकल्प का मामला
विदर्भ के अधूरे सिंचाई प्रकल्पों के मुद्दे को लेकर लोकनायक बापूजी अणे स्मारक समिति के सदस्य अमृत दीवान की नागपुर खंडपीठ जनहित याचिका प्रलंबित है। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने विदर्भ के सिंचाई प्रकल्पों के वर्तमान स्थिति पर विस्तृत रिपोर्ट पेश करने के आदेश मुख्य सचिव को दिये थे। इसके चलते बुधवार को हुई सुनवाई में मुख्य सचिव द्वारा सरकारी वकील ने रिपोर्ट पेश किया, लेकिन यह रिपोर्ट संतोषजनक न हाेने की वजह से कोर्ट ने नाराजी जताई। याचिकाकर्ता की ओर से एड. अविनाश काले ने पैरवी की।
पांच साल बाद फंड मंजूर
अंबाझरी बांध की सुरक्षा को लेकर हाई कोर्ट में 2018 में जनहित याचिका दायर की गई थी। उस समय कोर्ट ने अंबाझरी बांध की सुरक्षा के लिए कई आदेश दिये थे। कोर्ट के आदेश के अनुसार सिंचाई विभाग ने अंबाझरी बांध के सुरक्षा के लिए 21 करोड़ का प्रस्ताव भेजा था। बांध की सुरक्षा को लेकर मनपा और मेट्रो ने फंड उपलब्ध कराया, लेकिन राज्य सरकार ने फंड नहीं दिया था। जिलाधिकारी ने अभी 15 दिसंबर को 18 करोड़ का फंड मंजूर किया है। लगभग पांच साल बाद सरकार ने फंड मंजूर किया। इससे साफ है कि कोर्ट के आदेश के बाद भी सरकार अंबाझरी की सुरक्षा पर गंभीर नहीं।
856 करोड़ का भेजा प्रस्ताव
कोर्ट में शपथ-पत्र दायर करके जिलाधिकारी ने बताया कि, अंबाझरी तालाब, नाग और पोहरा नदी के किनारे पर सुरक्षा दीवार, पुल और अन्य उपायों के लिए 856.32 करोड़ निधि मिले, इसलिए आपत्ति व्यवस्थापन मदद व पुनवर्सन मंत्रालय के प्रधान सचिव को प्रस्ताव भेजा गया है।
26 हजार घरों के पंचनामे
जिलाधिकारी ने यह भी बताया कि, शहर में आई बाढ़ के कारण नुकसानग्रस्त 143 इलाकों के 26 हजार 612 घरों का पंचनामा किया गया और 18 अक्टूबर को नुकसानग्रस्त लोगों के खाते में 21 करोड़ 10 लाख रुपये जमा किए गये।
हजारों लोगों को नुकसान सहना पड़ा
मनपा, नासुप्र और महामेट्रो इन तीनों प्रशासनों द्वारा अंबाझरी व नाग नदी परिसर में किया हुआ निर्माण गलत है। इस कारण परिसर में बाढ़ आई और हजारों लोगों को नुकसान सहना पड़ा। इसलिए मामले की न्यायालयीन जांच की मांग करते हुए नुकसानग्रस्त रामगोपाल बचुका, जयश्री बनसोड, नत्थुजी टिक्कस ने नागपुर खंडपीठ में जनहित याचिका दायर की है। याचिका में अंबाझरी तालाब और नाग नदी परिसर के अवैध निर्माणों पर सवाल उठाया गया है। इसके अलावा नुकसानग्रस्त प्रति नागरिकों को 5 लाख और दुकानदारों को 10 लाख रुपये का मुआवजा मांगी है। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने अंबाझरी बांध टूटा तो जिम्मेदार कौन? यह सवाल किया था और अंबाझरी बांध के सुरक्षा के मुद्दे पर सभी प्रतिवादियों को जवाब दायर करने के आदेश दिये थे।