सीबीआई: विशेष अदालत का फैसला- कोल ब्लॉक आवंटन में गड़बड़ी, बीएस इस्पात के दो डायरेक्टर दोषी

  • धाराओं के तहत दोषी करार
  • आवंटन के समय कंपनी ही नहीं थी

Bhaskar Hindi
Update: 2024-05-28 09:52 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर. सीबीआई की विशेष अदालत (नई दिल्ली) के न्या. संजय बंसल ने नागपुर बेस निजी कंपनी मेसर्स बी. एस. इस्पात लिमिटेड के निदेशक मोहन अग्रवाल व राकेश अग्रवाल को कोल ब्लाक आवंटन में कंपनी के अस्तित्व के बारे में गलत जानकारी प्रस्तुत करने का दोषी पाया है। सजा का ऐलान मंगलवार 28 मई को होगा।

यह था आरोप : सीबीआई ने महाराष्ट्र के मार्की मांगली कोल ब्लॉक आवंटन मामले में नागपुर बेस मेसर्स बी. एस. इस्पात लिमिटेड के निदेशक मोहन अग्रवाल व राकेश अग्रवाल के खिलाफ 31 मार्च 2015 को आपराधिक साजिश व धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया था। आरोप था कि आरोपियों ने कोयला ब्लॉक हेतु आवेदन जमा करते समय एवं कोयला ब्लॉक आवंटन के लिए आवेदन पर कार्यवाही के दौरान कंपनी के अस्तित्व के बारे में गलत जानकारी प्रस्तुत की। कोयला ब्लॉक को 3 लाख टन प्रति वर्ष क्षमता के प्रस्तावित स्पंज आयरन प्लांट में कैप्टिव उपयोग के लिए आवंटित किया गया था। यह भी आरोप था कि कंपनी ने जिस उद्देश्य के लिए कोल ब्लॉक लिया था, उसके अलावा अन्य काम के लिए इसका उपयोग किया था। सीबीआई ने मामले की जांच कर आरोपियों के खिलाफ 24 जुलाई 2018 को आरोप पत्र दायर किया था।

इन धाराओं के तहत दोषी करार : अदालत ने 29 अप्रैल को फैसला सुरक्षित रख लिया था। अदालत कंपनी के निदेशक मोहन अग्रवाल और राकेश अग्रवाल को भारतीय दंड संहिता की धारा 420 और 120 बी के तहत दोषी करार दिया है। कोर्ट ने बीएसआईएल को भारतीय दंड संहिता की धारा 406 का भी दोषी करार दिया है। ये कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाला 2012 का है। इस मामले में सतर्कता आयोग की अनुशंसा पर सीबीआई ने 2012 में जांच शुरू की थी, जिसके बाद 2015 में एफआईआर दर्ज की गई थी।

आवंटन के समय कंपनी ही नहीं थी : सीबीआई के मुताबिक बीएसआईएल ने जब कोयला ब्लॉक के आवंटन के लिए कोयला मंत्रालय को आवेदन किया था, उस समय वह कंपनी बनी ही नहीं थी। बीएसआईएल ने 28 जून 1999 को कोयला ब्लॉक के आवंटन के लिए आवेदन किया था, लेकिन कंपनी का गठन 1 दिसंबर 1999 को हुआ था। कंपनी के गठन का प्रमाण पत्र 27 अप्रैल 2000 को जारी किया गया था। राकेश अग्रवाल ने आवेदन के साथ बीएसआईएल का मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन और आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन भी संलग्न किया था। विशेष कोर्ट ने आरोपियों को दोषी पाया है। कंपनी के दोनों निदेशक कोर्ट में इस बात का भी संतोषजनक जवाब नहीं दे सके कि जब कंपनी का गठन हुआ ही नहीं था, तो उन्होंने बतौर निदेशक हस्ताक्षर कैसे किए थे। सजा का ऐलान मंगलवार 28 मई को होगा।

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