कामठी तहसील: खरीफ के लिए 24,820 हेक्टेयर में बुआई का नियोजन, धान-कपास का बढ़ेगा क्षेत्रफल
- प्राकृतिक आपदा कभी बेमौसम बारिश तो कभी ओलावृष्टि
- किसानों का काफी नुकसान हुआ
डिजिटल डेस्क, कामठी (ग्रामीण) रबी सीजन के दौरान लगातार प्राकृतिक आपदा कभी बेमौसम बारिश तो कभी ओलावृष्टि के चलते इस वर्ष किसानों का काफी नुकसान हुआ है। किसानों के हाथ आई फसल भी निकल जाने से उत्पादन में भी कमी ने सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। एक बार फिर नई उम्मीद के साथ खरीफ सीजन के लिए किसानों ने कमर कस ली है। तपती धूप में भी खेत तैयार करना, खर-पतवार हटाना जैसे कार्यों में किसान जुट गए हैं।
वहीं खरीफ सीजन को लेकर कृषि विभाग ने भी सारी तैयारियां पूरी कर ली है। इस वर्ष खरीफ के लिए कृषि विभाग ने 24,820 हेक्टेयर का बुआई का नियोजन किया है। जिसके तहत कपास और धान का बुआई क्षेत्र बढ़ने की संभावना है।
रबी के बाद खरीफ को लेकर किसानों को काफी उम्मीद है। खेतों को साफ कर बुआई के लिए तैयार कर लिया है। कामठी तहसील अंतर्गत आने वाले गांवों में अभी भी किसान खेतों में जुटे हुए है
फसल बुआई क्षेत्र (हेक्टेयर में)
सोयाबीन 2708
कपास 6509
धान 10551
मिर्च 85
तुअर 2636
ज्वार 45
मक्का 17
गन्ना 677
फूल 160
हरी सब्जी 1345
अन्य 87
कुल 24,820
खरीफ में धान, कपास, सोयाबीन और तुअर की फसल को प्रमुख फसल माना जाता है, जो नकद फसल भी होती है। गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष इनका भी क्षेत्र बढ़ा है।
बीज, कीटनाशक, खाद के दामों में इजाफा, मजदूरी पर भी महंगाई का असर
लगातार हो रहे नुकसान से किसानों की अब महंगाई ने कमर तोड़ दी है। इस वर्ष बीज, कीटनाशक, खाद के दामों में इजाफा होने के साथ ही कृषि मजदूरों की मजदूरी भी बढ़ने से किसानों पर आर्थिक बोझ बढ़ गया है। ट्रैक्टर व अन्य मशीनों का भी किराया बढ़ने से किसानों के सामने आर्थिक समस्या निर्माण हो गई है। बावजूद इसके खरीफ सीजन में अच्छे उत्पादन की आस लिए किसान अपने खेतों में जुट गए हैं। रबी सीजन में हुए नुकसान की भरपाई खरीफ में होने की उम्मीद किसान लगाए हुए हैं।