अपनी कहानी अपना दर्द: कहीं भटकती मिली, तो कहीं भीख मांग रही थीं लड़कियां

  • तीन बहनों का था फुटपाथ घर
  • भीख मांगकर काट रही थीं जिंदगी
  • इन दो बहनों को भी मां का इंतजार

Bhaskar Hindi
Update: 2023-12-03 12:42 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर. बच्चों को देश का भविष्य कहा जाता है। कभी-कभी हालात ऐसे पैदा हो जाते हैं कि, भविष्य, वर्तमान से ही संकट में आ जाता है। मुख्य धारा से दूर होकर जीना उनकी मजबूरी बन जाती है। जहां नींद आए, वह बिस्तर और जहां जो मिल जाए, उससे पेट भरकर जिंदगी गुजरती रहती है। ऐसे ही 10 बच्चों को माता-पिता का इंतजार है। हाल ही में जिला महिला व बाल विकास अधिकारी कार्यालय ने इसकी जानकारी साझा करते हुए उनके पुनर्वसन के लिए नागरिकों से आह्वान किया है।

तीन बहनों का था फुटपाथ घर, भीख मांगकर काट रही थीं जिंदगी

12 साल की सोनू, 14 साल की चंचल और 15 साल की प्रिया का अशियाना फुटपाथ बन गया था। तीनों सगी बहनें हैं। उनके पिता का नाम रामपूरणलाल चव्हाण है। पिता की मानसिक हालत खराब है। न घर है न ठिकाना। नागपुर के बस स्टैंड पर तीनों बहनें भीख मांगकर अपना पेट पालती थीं। रात होते ही किसी भी फुटपाथ पर सो जाती थीं। जिला महिला व बाल विकास अधिकारी कार्यालय के अनुसार उन्होंने तीनों बहनों काे आशा किरण बालगृह खसाडा मसाडा में रखा है। बाल कल्याण समिति के आदेशानुसार तीनों बहनें शिक्षा ले रही हैं। इन बच्चियों के पिता, परिजन व रिश्तेदारों की खोजबीन की गई, लेकिन किसी का पता नहीं चल सका। मां के बारे में बताया गया कि, वह बच्चियों को छोड़कर जा चुकी है। ऐसे तमाम दर्द को लेकर यह बच्चियां उज्ज्वल भविष्य की आस लगाए अपने लिए माता-पिता का इंतजार कर रही हैं। अब तक इन बच्चियों को लेने कोई नहीं पहुंचा है।

इन बच्चों को माता-पिता का इंतजार

दीपक अर्जुन बेलवंशी की उम्र 6 साल है। एमआईडीसी पुलिस ने 10 जून 2023 को बाल कल्याण समिति को सौंपा था। समिति ने इस बच्चे को शासकीय बालगृह नागपुर में रखा था। बाद में उसे डागा बाल सदन कामठी में रखा गया है। वह अब शिक्षा ले रहा है।

शैलेश मोहन मेश्राम की उम्र 14 साल और दुर्गा मोहन मेश्राम की उम्र 9 साल की है। दोनों बच्चे 1 जून 2018 को रेलवे चाइल्ड लाइन टीम को मिले थे। समिति ने शैलेश को कस्तूरचंद डागा बाल सदन कामठी में रखा। वर्तमान में यह बच्चा बाल सदन सावनेर में रहकर शिक्षा ले रहा है। 

दुर्गा को आशा किरण बाल सदन खसाडा मसाडा में रखा गया है। वह भी शिक्षा ले रही है। पांच साल से दोनों बच्चों को लेने कोई नहीं आया है। उनके पिता की मृत्यु हुई है। मां भीख मांगकर गुजारा करती है।

14 साल की छकुली लालाजी नन्नावरे भांडेवाड़ी परिसर में भीख मांग रही थी। उसके माता-पिता का निधन हुआ है। इस बच्ची का आशा किरण बाल सदन खसाडा मसाडा में रखा गया है। यहीं पर बच्ची शिक्षा ले रही है। स्नेहल वामन छोबले 13 साल का है। इस बच्ची के माता-पिता घर छोड़कर चले गए हैं। इस बच्ची को भी आशा किरण बाल सदन में रखा गया है।

इन दो बहनों को भी मां का इंतजार

इसी बालगृह में दो और बहनें हैं। इनका भी दर्द समान ही है। 14 साल की खुशबू विजय चहांदे और 15 साल की शिवानी विजय चहांदे इन दोनों बच्चियों के पिता की मृत्यु हो चुकी है। इन बेटियों की मां उन्हें छोड़कर चली गई है। विभाग ने उनके परिजनों व रिश्तेदारों की खोजबीन की, लेकिन निराशा हाथ लगी। इन बच्चियों को लेने कोई नहीं आया है। 

हर एक की अलग कहानी, अलग दर्द

जिले में सड़कों पर मिले लावारिस बच्चे, घर छोड़ चुके बच्चे, जिन्हें सुरक्षा की आवश्यकता है ऐसे बच्चे, विधि संघर्षग्रस्त बच्चों की अलग-अलग कहानियां है। जिस दर्द को लेकर यह बच्चे जिंदगी गुजारते हैं, वह भयावह होता है। इन बच्चों के पुर्नवसन व पालन-पोषण की जिम्मेदारी महिला व बाल विकास विभाग द्वारा उठायी जा रही है। विभाग अंतर्गत बालरक्षक सेवारत हैं। इस समय 10 ऐसे बच्चे हैं, जिन्हें माता-पिता का इंतजार है। इन बच्चों के पुनर्वसन, पालन-पोषण आदि के लिए बच्चों के परिजनों व रिश्तेदारों से जिला महिला व बाल विकास अधिकारी भारती मानकर और बाल विकास अधिकारी मुश्ताक पठान से संपर्क करने को कहा गया है। इसके लिए दस दिन का समय दिया गया है। अन्यथा केंद्रीय दत्तक प्राधिकरण नई दिल्ली के नियमानुसार आगे की प्रक्रिया पूरी की जाने की सूचना दी गई है। 

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