नागपुर: बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे सिद्धेश्वरीवासी, एक ही बोरवेल पर निर्भर हैं लोग
- इस इलाके में आदिवासी और गोंड समुदाय के लोग सबसे ज्यादा हैं
- एक ही बोरवेल पर निर्भर हैं सैकड़ों परिवार
डिजिटल डेस्क, बेसा. बेसा-पिपला क्षेत्र से सटकर सिद्धेश्वरी इलाका है। यहां पर सबसे अधिक आदिवासी, गोंड समुदाय के लोग रहते हैं। पिछले 40 साल से यह लोग यहां रह रहे हैं, तब से लेकर अब तक यह लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरसते हुए देखे जा रहे हैं। दो से तीन किलोमीटर पैदल चलकर पानी लाने के लिए मजबूर हैं। हालांकि, सेवा सर्वदा बहुद्देशीय संस्था अंतर्गत कुछ वर्ष पूर्व सिद्धेश्वरी में बोरवेल बनाकर दी गई है। इनके लिए यह बोरवेल ही पानी का एक मात्र माध्यम है। एक ही बोरवेल पर सैकड़ों परिवार निर्भर हैं। यहां न तो टैंकर आता है और न ही नल के लिए पाइप लाइन डाली गई है। सिद्धेश्वरी इलाका विकास से कोसों दूर है, लेकिन इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।
पेट के लिए कमाएं या पानी का इंतजाम करें
पूजा उइके के मुताबिक घर परिवार का गुजारा करने के लिए कुछ काम करना पड़ता है, लेकिन हमारे इलाके में पानी की समस्या हर वर्ष विकराल रूप धारण करती है। कई सालों से हमें नल का पानी ही नसीब नहीं हुआ है। टैंकर भी नहीं आते, हमें डेढ़-दो किलोमीटर चलकर पीने तथा अन्य उपयोग के लिए पानी लाना पड़ता है। इतनी दूर से पानी लाने में बहुत शारीरिक पीड़ा होती है। पर क्या करें मजबूरी है।
कब हल होगी पानी की समस्या
वैजयंती नैताम के मुताबिक पानी समस्या से सदियों से जूझ रहे हैं। समस्या हल होने के बजाय हर वर्ष गंभीर होती जा रही है। घर का काम करने के साथ ही जो काम मिला वह कर लेते हैं। परिवार की जिम्मेदारी भी है। ऐसे में सुबह से देर रात तक जैसे काम से फुर्सत मिलती है, वह सारा समय पानी जुटाने में लगाना पड़ता है। एक ही बोरवेल होने के कारण सैकड़ों लोगों के परिवार इस पर निर्भर हैं। हमारी पानी समस्या को समझकर मनपा को टैंकर से पानी की व्यवस्था करना चाहिए।
40 वर्ष से पानी के लिए तरस रहे हैं
बिंकल उईके के मुताबिक पिछले 40 वर्ष से हम पानी के लिए तरस रहे हैं। टैंकर की आस में रहते हैं, लेकिन संबंधित प्रशासन टैंकर नहीं भेजता। जो लोग आर्थिक रूप से संपन्न हैं वे निजी टैंकर बुलाकर घर के सामने रखी पानी की टंकिया भर लेते हैं, लेकिन हम आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण टैंकर का भार वहन नहीं कर पाते। ऐसे में हम दूर-दराज से पानी लाने के लिए मजबूर हैं।
हमारी व्यथा सुनने वाला
कोई नहीं
नागेश उईके के मुताबिक घर की महिलाएं परिवार की जिम्मेदारी संभालते हुए उन्हें पानी के लिए भी संघर्ष करना पड़ता है। पिछले चार दशक से पानी के लिए दर-ब-दर भटक रहे हैं, लेकिन हमारी समस्या की सुध लेने वाला कोई नहीं हैं। हालांकि, कुछ वर्ष पूर्व सेवा सर्वदा बहुद्देशीय संस्था ने सिद्धेश्वरी इलाके में बोरवेल की सुविधा दी, लेकिन एक ही बोरवेल पर सैंकड़ों लोगों का परिवार निर्भर है। ऐसे में लंबे इंतजार के बाद थोड़ा बहुत पानी जुटा पाते हैं। सालभर हम इसी प्रकार पानी के लिए मशक्कत करनी पड़ती है।