चिंताजनक: चौंकाने वाले आंकड़े - 9 माह में 92 माओं की मौत, नागपुर में 89-ग्रामीण में मात्र 3 केस
- असली कारण का निवारण बेहद जरूरी
- पूर्व विदर्भ में 150 माताओं की मृत्यु दर्ज की गई है।
- जननी शिशु सुरक्षा योजना पर सवाल
- तथ्य जो सामने आए- लापरवाही से माता मृत्यु दर पर नियंत्रण नहीं
डिजिटल डेस्क, नागपुर। सरकार की तरफ से सामान्यजनों को स्वस्थ रखने के लिए गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा योजनाएं शुरू की गई हैं। माताओं व शिशुओं की मृत्यु दर कम करने के लिए भी अनेक योजनाएं हैं, बावजूद इसके उनकी मृत्यु दर कम हाेने का नाम नहीं ले रही है। ग्रामीण ही नहीं, शहरी भागों में भी उनकी मृत्यु का सिलसिला जारी है। जिले में पिछले साल अप्रैल से दिसंबर तक केवल 9 महीने में 92 माताओं की मृत्यु दर्ज की गई है। शहर में 89 और ग्रामीण में 3 माताओं की मृत्यु हुई है। वहीं, पूर्व विदर्भ में 150 माताओं की मृत्यु दर्ज की गई है।
अमल करने पुख्ता इंतजाम नहीं
वर्तमान में आधुनिक तकनीक पर आधारित उपचार पद्धति, अत्याधुनिक मशीनों से विविध जांच की सुविधाएं व औषधोपचार उपलब्ध है, पर गर्भावस्था के दौरान बरती गई विविध लापरवाही के चलते माताओं की मृत्यु दर नियंत्रित नहीं हो पा रही है। जिले में 9 महीने में 92 महिलाओं की मृत्यु का आंकड़ा चिंताजनक है। पोषण के प्रति लापरवाही, समय-समय पर जांच व उपचार, कुछ कमियां होने पर नियमित औषधोपचार नहीं करने से समस्या पैदा होती है। सरकारी स्तर पर सारी उपाय योजना और योजनाएं उपलब्ध हैं, लेकिन उस पर अमल करने पुख्ता इंतजाम नहीं है।
ग्रामीण के मुकाबले शहर में अधिक संख्या
गर्भवती महिलाओं को विविध योजनाओं के माध्यम से अलग-अलग सुविधाएं उपलब्ध कराने का दावा किया जाता है। इनमें जननी सुरक्षा योजना, जननी शिशु सुरक्षा योजना, माहेरघर आदि का समावेश है। आशा वर्करों के माध्यम से पोषण आहार वितरित करने का दावा किया जाता है। बावजूद स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है।
हाल ही में सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग की बैठक में कई खामियां उजागर हुईं। इसमें समय पर रक्त का न मिलना, गंभीर स्थिति में अस्पतालों में रेफर करने के लिए संसाधन नहीं होना आदि कारण हैं। जिले में ग्रामीण के मुकाबले शहर में माता मृत्यु दर की संख्या अधिक है। आंकड़ों के अनुसार, शहर में 89 और ग्रामीण में 3 माताओं की मृत्यु हुई है।