हाईकोर्ट: ब्रम्होस इंजीनियर निशांत को झटका, पाकिस्तान के लिए जासूसी करने का है आरोप
- जमानत और सजा निलंबन की मांग खारिज
- पाकिस्तान के लिए जासूसी करने का मामला
- ब्रम्होस इंजीनियर निशांत को राहत नहीं
डिजिटल डेस्क, नागपुर. बॉम्बे हाईकोर्ट के नागपुर खंडपीठ ने शुक्रवार को पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में साइबर आतंकवाद में दोषी ब्रम्होस एयरोस्पेस अभियंता निशांत प्रदीप अग्रवाल की जमानत और सजा निलंबन की मांग खारिज कर दी। न्या. विनय जोशी और न्या. वृषाली जोशी ने यह फैसला दिया है। ब्रम्होस मिसाइल पर कार्यरत निशांत प्रदीप अग्रवाल (उम्र 32, निवासी नेहरू नगर, रुड़की, जिला हरिद्वार, उत्तराखंड) को जिला व सत्र न्यायालय ने साइबर आतंकवाद में दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है। साथ ही आईटी कानून और आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम की धारा 3 और 5 के तहत निशांत को विभिन्न सजा सुनाई गई है। निशांत ने इस सजा को निलंबन और जमानत के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में याचिका दायर की थी।
इस मामले में वरिष्ठ विधिज्ञ सिद्धांत दवे ने निशांत की ओर से जबकि सरकारी वकील अनूप बदर राज्य सरकार की ओर से अपना पक्ष रखा था। इसमें सिद्धांत दवे ने कोर्ट को बताया था कि, इस बात का कोई सबूत नहीं है कि निशांत ने यह जानकारी लीक की या इसे दुश्मन तक पहुंचाया। सेशन कोर्ट में यह साबित नहीं हो सका है। इसलिए निशांत को जमानत पर रिहा किया जाए। वहीं एड. अनूप बदर ने कोर्ट को बताया था कि, निशांत के पर्सनल लैपटॉप में कुल 19 सीक्रेट फाइल्स मिली। इनमें 17 फाइलें गोपनीय थीं और दो फाइलों को अत्यधिक गोपनीय श्रेणी में रखा गया था। ब्रम्होस के विकास के लिए भारत और रूस के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। इसमें रूस की प्रौद्योगिकी के बारे में जानकारी की अति संवेदनशील फाइल भी बरामद की गई। डीआरडीओ की गाइडलाइन के अनुसार निशांत को यह फाइल अपने निजी लैपटॉप में रखने का कोई अधिकार नहीं था। इससे देश की सुरक्षा व्यवस्था की गोपनीय जानकारी खतरे में पड़ गई। इसलिए निशांत को जमानत देने से सरकार ने पुरजोर विरोध किया था। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रखा था।
यह है मामला
निशांत 2014 से ब्रह्मोस एयरोस्पेस, नागपुर इकाई में वरिष्ठ सिस्टम इंजीनियर के रूप में कार्यरत थे। वह उज्जवल नगर में किराए के मकान में रहते थे। इसी बीच निशांत को नेहा शर्मा और पूजा रंजन के नाम से फेसबुक रिक्वेस्ट मिली और वह हनी ट्रैप में फंस गए। सोशल मीडिया अकाउंट से जॉब लिंक खोलने के बाद मैलवेयर उनके निजी लैपटॉप में चला गया। इसके आधार पर एटीएस को शक हुआ कि सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइल की संवेदनशील गोपनीय जानकारी पाकिस्तान की आईएसआई तक पहुंची। उनको उत्तर प्रदेश एटीएस ने 8 अक्टूबर 2018 को नागपुर से गिरफ्तार किया था।