संतरा नगरी की धरोहर: जीरो माइल की सुरक्षा राम भरोसे, जिलाधिकारी को फटकार, चौबीस घंटे में देना होगा जवाब
- हाईकोर्ट ने जिलाधिकारी को फटकार लगाई
- आदेश के बाद भी न रख-रखाव और न फंड उपलब्ध
- जीरो माइल की सुरक्षा का सवाल
डिजिटल डेस्क, नागपुर। भारत के ऐतिहासिक स्मारक जीरो माइल के सौंदर्यीकरण और रखरखाव में सरकारी लापरवाही पर संज्ञान लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने सू-मोटो जनहित याचिका दायर की है। कोर्ट ने जीरो माइल के रखरखाव और सुरक्षा के लिए वहां सुरक्षा रक्षक तैनात करने सहित विकास कार्यों के लिए फंड उपलब्ध कराने के आदेश दिए थे, लेकिन कोर्ट ने आदेश के बाद भी परिस्थिती जस की तस है। इस कारण बुधवार को कोर्ट ने जिलाधिकारी को जमकर फटकार लगाई। स्मारक की सुरक्षा को लेकर सरकार की विफलता पर टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा की जीरो माइल की सुरक्षा अब राम भरोसे है। साथ ही कोर्ट ने अब तक क्या कदम उठाए गए यह सवाल करते हुए जिलाधिकारी को चौबीस घंटे के अंदर जवाब दायर करने के आदेश दिए हैं।
हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाई में जीरो माइल की सुरक्षा को ध्यान रखते हुए वहां किसी भी तरह का सामाजिक, राजनीतिक कार्यक्रम आयोजत करने पर रोक लगाई थी। इसके अलावा जिलाधिकारी ने कोर्ट को बताया गया था कि जीरो माइल के रखरखाव, मरम्मत और सौंदर्यीकरण के लिए लोक निर्माण विभाग को 27 लाख रुपए दिए जाएंगे। इस पर कोर्ट ने जीरो माइल के सुरक्षा को लेकर क्या कदम उठाए गए, इसकी सारी जानकारी की रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए थे।
इस मामले पर बुधवार को न्या. नितीन सांबरे और न्या. अभय मंत्री के समक्ष सुनवाई हुई। इस दौरान जिलाधिकारी के जीरो माइल की सुरक्षा से लेकर रख-रखाव पर बरती जा रही लापरवाही और विकास कार्य के लिए अब तक फंड उपलब्ध न कराने के मुद्दे पर ध्यान आकर्षित किया गया। इसके अलावा विरासत संरक्षण निधी का भी मुद्दा उठाया गया। इस पर कोर्ट ने जिलाधिकारी को फटकारते हुए गुरुवार 8 अगस्त को जवाब दायर करने के आदेश दिए। मामले में एड. कार्तिक शुकुल न्यायालयीन मित्र हैं, राज्य सरकार की ओर से एड. दीपक ठाकरे और मनपा की ओर से एड. जेमिनी कासट ने पैरवी की।
संयुक्त भारत का केंद्र है जीरो माइल
आपको बतादें जीरो माइल या माइलस्टोन भारत का एक ऐतिहासिक स्मारक है। इसे साल 1907 में जीटीएस (ग्रेट ट्रिग्नोमेट्री सर्वे) के दौरान बनाया गया था। जिसके पीछे का मकसद पूरे भारत के सब कॉन्टिनल को मापना था। इसी सर्वे के दौरान नागपुर को पूरे भारत का केंद्र माना गया था। हालांकि नागपुर वर्तमान भारत का नहीं, बल्कि संयुक्त भारत का केंद्र माना जाता रहा है। जब पाकिस्तान और बांग्लादेश भी भारत का ही हिस्सा हुआ करते थे।