गीत-संगीत: ठुमरी, दादरा शैली ने श्रोताओं का मन मोहा
विदर्भ गौरव प्रतिष्ठान का आयोजन
डिजिटल डेस्क, नागपुर । विदर्भ गौरव प्रतिष्ठान द्वारा आयोजित और मल कंस्ट्रक्शन द्वारा प्रायोजित ‘ठुमरी दादरा’ उपशास्त्रीय संगीत पर आधारित कार्यक्रम में साधना शिलेदार और शोभा चौधरी ने विविध राग व शैली में श्रोताओं को सुरिली मेजवानी का आनंद दिया। सिविल लाइंस स्थित चिटणवीस सेंटर के बनियान हॉल में आयोजित कार्यक्रम में साधना शिलेदार ने पहाड़ी राग ‘साची कहो’ की ठुमरी से कार्यक्रम की शुरुआत की। शोभा चौधरी ने काफी राग के दीपचंदी लय में ठुमरी ‘अचरा छोड़ो’ पेश कर प्रशंसकों की सराहना बटोरी। इसके बाद बसंतमुखारी, मारुबिहाग, पिलू राग में दादरा, कजरी, होरी आदि उपशास्त्रीय विधाओं का प्रदर्शन किया।
उपशास्त्रीय संगीत से परिचित कराया : दिवाली पहाट के निमित्त मराठी व हिंदी गीतों का कार्यक्रम प्रस्तुत करते हुए प्रशंसकों को ठुमरी, दादरा, कजरी, होरी जैसे उपशास्त्रीय संगीत वाले गीतों की शैली से परिचित कराया गया। कार्यक्रम का समापन भैरवी राग में बंदिश से हुआ। इस दौरान हार्मोनियम पर श्रीकांत पिसे व तबले पर राम ढोके ने संगत दी। कार्यक्रम में ऋषिकेश करमकर के ‘दिलरुबा साथी’ ने रंग जमाया। डॉ. रजनी हुड्डा ने कार्यक्रम का संचालन किया। कार्यक्रम में गिरीश गांधी, विलास काले, डी. आर. मल, विनय जैन, बाल कुलकर्णी आदि मान्यवर उपस्थित थे।