नागपुर खंडपीठ: आरटीई नियमों को अदालत में दी गई चुनौती, शिक्षा विभाग को नोटिस जारी किया

  • हवाला-नए नियम अन्यायपूर्ण
  • शिक्षा विभाग को नोटिस जारी

Bhaskar Hindi
Update: 2024-04-25 15:20 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर. राज्य सरकार द्वारा बदले गए आरटीई नियमों को बॉम्बे हाई कोर्ट के नागपुर खंडपीठ में जनहित याचिका द्वारा चुनौती दी गई है। नए नियमों के कारण आरटीई के तहत अंग्रेजी माध्यम के निजी स्कूलों में प्रवेश मुश्किल होने का याचिका में दावा किया गया है। इस मामले में बुधवार को न्या. नितीन सांबरे और न्या. अभय मंत्री के समक्ष हुई सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार के शिक्षा विभाग को नोटिस जारी करते हुए 8 मई तक जवाब दायर करने के आदेश दिए हैं।

हवाला-नए नियम अन्यायपूर्ण

नागपुर खंडपीठ में शिक्षा अधिकार कार्यकर्ता वैभव एडके, राहुल शेंडे, वैभव कांबले और अनिकेत कुत्तरमारे ने यह जनहित याचिका दायर की है। याचिका के अनुसार, आरटीई के तहत वंचित, कमजोर, सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग के छात्रों को 25 प्रतिशत आरक्षित सीटों पर प्रवेश दिया जाता है। स्कूल शिक्षा विभाग ने इस वर्ष आरटीई प्रवेश प्रक्रिया में महत्वपूर्ण बदलाव किया है। इसके अनुसार विद्यार्थी के निवास स्थान से एक किलोमीटर तक के अनुदानित विद्यालय, सरकारी विद्यालय, स्थानीय स्वराज्य संस्था के विद्यालय में प्रवेश दिया जाएगा।

यदि ये विद्यालय उपलब्ध नहीं हैं, तो स्व-वित्तपोषित निजी विद्यालयों में प्रवेश दिया जाएगा। आरटीई ऑनलाइन आवेदन हाल ही में शुरू हुआ है। अगर ये नियम लागू हो गए तो छात्रों को काफी नुकसान होगा। याचिका में दावा किया गया है कि राज्य सरकार के नए नियम अवैध और अन्यायपूर्ण हैं। मामले पर बुधवार को कोर्ट ने उक्त आदेश जारी किए। याचिकाकर्ताओं की ओर से एड. जयना कोठारी, एड. दीपक चटप ने पैरवी की।

नए नियमों से अमीर, गरीब में बनेगी श्रेणी

याचिका में दावा किया गया है कि, नए नियमों से अमीर बच्चों के लिए अंग्रेजी माध्यम के निजी स्कूलों और गरीब बच्चों के लिए सरकारी स्कूलों की एक श्रेणी बनेगी। इससे पहले हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों की सरकार ने निजी स्कूलों को अनुमति देने वाले विवादित नियम बनाए थे, लेकिन उस नियम को हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया है।




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