बड़ा निशाना: RSS ने कहा - राजनीतिक स्वार्थ के लिए लगाया गया था संघ पर प्रतिबंध

  • संघ सहित 17 से अधिक संगठनों के कार्यक्रमों में सरकारी कर्मचारियों के शामिल होने को थी मनाही
  • 58 साल में किसी भी सरकार ने नहीं हटाया यह प्रतिबंध
  • कुछ राज्यों में विविध संगठनों के प्रतिबंध किए गए शिथिल

Bhaskar Hindi
Update: 2024-07-22 13:22 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रमों व अन्य गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों के शामिल होने की अनुमति का संघ ने स्वागत किया है। संघ की ओर से कहा गया है कि राजनीतिक स्वार्थ के लिए संघ पर प्रतिबंध लगाया गया था। यह प्रतिबंध निराधार था।संघ के प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने बयान जारी कर कहा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ 99 वर्षों से राष्ट्र के पुननिर्माण एवं समाज की सेवा में संलग्न है। राष्ट्रीय सुरक्षा, एकता--अखंडता एवं प्राकृतिक आपदा के समय में समाज को साथ लेकर संघ के योगदान के चलते समय-समय पर देश के विभिन्न प्रकार के नेतृत्व ने संघ की भूमिका की प्रशंसा भी की है।" आंबेकर ने कहा है कि "अपने राजनीतिक स्वार्थों के चलते तत्कालीन सरकार द्वारा शासकीय कर्मचारियों को संघ जैसे रचनात्मक संगठन की गतिविधियों में भाग लेने के लिए निराधार ही प्रतिबंधित किया गया था।शासन का वर्तमान निर्णय समुचित है और भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था को पुष्ट करने वाला है।"

17 संगठनों पर लगा था प्रतिबंध

हिंसा के मामले में 58 साल पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सहित 17 से अधिक संगठनों पर प्रतिबंध लगाया गया था। इन संगठनों में जमाते इस्लामी, रेडिकल लेफट,राइट विंगर,वीएसएस यानी वालिंटियर सोशल सर्विस, भारतीय प्रगतिशील संघ, भारतीय प्रोटेस्ट मंच, प्रोटेस्ट लीग, प्रगतिशील हरियाणा समाज, प्रगतिशील भोजपुरी समाज, सहित पंजाब , पश्चिम बंगाल के कुछ समाज संगठन शामिल थे। राज्य सरकारों ने कुछ संगठनों का प्रतिबंध शिथिल किया लेकिन आरएसएस को लेकर प्रतिबंध कायम रहा। यहां तक कि भाजपा के नेतृत्व की सरकारों ने भी यह प्रतिबंध कायम रखा।

क्या था प्रावधान

सरकारों ने प्रतिबंधित संगठनों के नामों की सूची जारी की थी। निर्देश दिए गए कि सरकारी कर्मचारी उस सूची में दिए गए किसी भी संगठन से किसी तरह का जुड़ाव नहीं रख सकते हैं। यहां तक कि इन संगठनों के पक्ष में सोशल मीडिया पर कांई संदेश पोस्ट नहीं कर सकते हैं। ऐसा करना, असैनिक सेवाएं आचरण नियम 1971 के नियम 7 का उल्लंघन होगा। ऐसे कर्मचारी के खिलाफ सीसीए रुल्स 1958 के तहत नोटिस देकर कार्रवाई की जाएगी।

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