नागपुर: गोंड-गोवारी की समस्या पर रिटायर्ड न्यायाधीश की कमेटी गठित, जूस पीकर तोड़ा अनशन

  • आंदोलन के बाद हरकत में सरकार
  • समिति ने लिया फैसला, ठिया आंदोलन रद्द
  • छह महीने में देगी रिपोर्ट
  • विद्यार्थियों को शैक्षणिक सुविधा देने का लिखित आश्वासन

Bhaskar Hindi
Update: 2024-02-12 11:54 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर। अपनी विविध मांगों की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए विदर्भ से गोंड-गोवारी समाज के बंधुओं ने 5 फरवरी को शहर में पहुंचकर सड़कों पर आंदोलन किया था। इस दौरान शहर के सभी सड़कें जाम रहीं और दिन भर ट्रैफिक शहर में रेंगता रहा। आखिरकार सरकार को इसका संज्ञान लेना पड़ा। शनिवार को मुंबई में उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मांगों पर चर्चा करने के लिए मंत्रालय में बैठक बुलाई थी। इस दौरान 24 अप्रैल 1985 के जीआर में गोंड गोवारी जनजाति के संबंध में दर्ज गलत सांस्कृतिक जानकारी को हटाकर उसकी जगह 18 दिसंबर 2020 के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के पैरा क्रमांक 83 में दर्ज गोंड गोवारी जनजाति की जानकारी शामिल करने के लिए उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में कमेठी गठित करने का निर्णय लिया है।

इस कमेटी को छह महीने में अपनी रिपोर्ट देने के निर्देश और विद्यार्थियों को शैक्षणिक सुविधा देने का लिखित आश्वासन दिया गया है। सरकार के इस लिखित आश्वासन के बाद अनशनकर्ता किशोर चौधरी, सचिन चचाने, चंदन कोहले ने जिलाधिकारी डॉ. विपिन इटनकर, डीसीपी राहुल मदने, डीसीपी खेडकर, वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की उपस्थिति में पूर्व विधायक परिणय फुके के हाथों जूस पीकर अनशन तोड़ा।

समिति ने लिया फैसला, ठिया आंदोलन रद्द

अनशन स्थगित करने के बाद आदिवासी गोंड गोवारी जनजाति संविधानिक हक्क संघर्ष कृति समिति के कार्यकारी संयोजक व राज्य सदस्य सचिव रामदास नेवारे ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि आंदोलन स्थगित किया गया है। 12 फरवरी का ठिया आंदोलन रद्द कर दिया गया है। इसलिए कोई भी समाज बंधु आंदोलन के लिए नागपुर न आएं। उन्होंने समाज की एकता दर्शाने के लिए सभी समाज बंधुओं का आभार भी माना।

गौरतलब है कि 26 जनवरी से नागपुर के संविधान चौक पर गोंड-गोवारी जनजाति के संवैधानिक मांगों के लिए समाज के किशोर चौधरी वर्धा, सचिन चचाने यवतमाल, चंदन कोहरे बुलढाणा ने आमरण अनशन की शुरूआत की थी। इस बीच उनकी हालत भी बिगड़ी थी। फिर भी सरकार द्वारा संज्ञान नहीं लेने पर समाज में रोष देखा जा रहा है। इसका असर 5 फरवरी को नागपुर में देखा गया। विदर्भ से बड़ी संख्या में समाज के लोग नागपुर पहुंचे और आंदोलन किया था, जिस कारण शहर की सड़कें थम गई थी। इसके बाद सरकार को संज्ञान लेना पड़ा।


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