नागपुर: आरक्षित जमीन लापता सूचना फलक भी गायब, चबूतरे बनाने व बाजार लगवाने की थी तैयारी
- आरक्षित जमीन के टुकड़े-टुकड़े में बिकने की खबर
- बड़ी मछलियां बचने का रास्ता तलाश रही
- निवेश करने वाले बुरे फंसे
डिजिटल डेस्क, नागपुर. काशीनगर की आरक्षित जमीन के टुकड़े-टुकड़े में बिकने की खबर से हड़कंप मचा है। बड़ी ‘मछलियां’ बचने का रास्ता तलाश रही हैं, तो ‘छुटभैये’ भयभीत। गोल्या सहित अन्य के नाम सामने आने के बाद सफेदपोशों को भी बेनकाब होने का डर सताने लगा है। इस बीच, नगर प्रशासन के बाजार विभाग के नाम का लगा हुआ लोेहे का फलक गायब हो गया है। इतना ही नहीं, उस जगह पर बनाई गई कंपाउंड वॉल की ईंट तक गायब हो गई है, लेकिन नगर प्रशासन में कोई हलचल नहीं।
भूमाफियाओं ने अपना हित साधा
बताया जा रहा है कि बाजार के लिए आरक्षित जगह पर नगर प्रशासन ने चबूतरे बनाने व बाजार लगवाने की तैयारी की थी, लेकिन कुछ स्थानीय भूमाफिया अपना हित साधने में कामयाब रहे, जबकि इलाके में सब्जी बाजार बनने के बाद इलाके के लोगों को कॉटन मार्केट, बुधवारी बाजार या कलमना मार्केट नहीं जाना पड़ता। अपना हित साधने वालों ने यह कहकर बरगला दिया कि परिसर में गंदगी फैलेगी। लोग भूला बैठे कि बाजार बनने के बाद अनेक लोगों को सीधे रोजगार मिलता। एक समाजसेविका ने समझाने का प्रयास किया, लेकिन उसे ही लोग गलत ठहराने लगे। सब्जी बाजार से नगर प्रशासन को भी आय होती। दक्षिण-पश्चिम नागपुर में सब्जी बाजार बनने से बेसा, मानेवाडा, बेलतरोडी, नरेंद्र नगर सहित अन्य कई इलाके के लोगों को उनके घर से कोसों दूर कॉटन मार्केट, बुधवारी बाजार या कलमना मार्केट नहीं जाना पड़ता।
निवेश करने वाले बुरे फंसे
चर्चा है कि नगर प्रशासन ने अभी भी अपनी आरक्षित जगह की खोजबीन शुरू की, तो कई लोग नप जाएंगे। नगर प्रशासन के कई अधिकारी और कर्मचारी भी लपेटे में आ सकते हैं। चर्चा यह भी है कि इस इलाके की जमीन में कुछ लोग निवेश करके फंस गए हैं। अपने दामन को बचाने के लिए कई लोगों ने राजनीति का दामन थाम चुके हैं, जिनकी हसरत अब अधूरी रह जाने का डर सताने लगा है।
होता फायदा...रिंग रोड काफी करीब है
सूत्रों के अनुसार, आरक्षित जगह पर सब्जी बाजार बन जाता तो यहां पर बाहर से माल की आवाजाही की समस्या भी दूर हो जाती। इस इलाके में मानेवाडा रिंग रोड बना है। आउटर रिंग रोड बनने से पहले इसी रिंग रोड से ट्रकों की आवाजाही हुआ करती थी। आरक्षित जगह पर सब्जी बाजार बना दिया जाता तो आज काशीनगर भी सब्जी मार्केट का बड़ा बाजार होता था। आरक्षित जमीन टुकडे- टुकडे में बिकने में गोल्या तो एक छोटा नाम है। छानबीन करने पर बड़े-बड़े नाम सामने आ जाएंगे। आरक्षित जगह पर कुछ दुकानें बनी हैं, लेकिन सवाल कायम है कि इनका मालिक कौन है। आरक्षित जगह परिसर में एक समिति का बोर्ड भी लगाए जाने की चर्चा जोरों पर है। नगर प्रशासन की ओर से सड़क पर अतिक्रमण को लेकर चालान कार्रवाई की जाती है, लेकिन उनकी ही आरक्षित जगह ‘गायब’ हो गई, इसकी फिक्र उन्हें नहीं।