फैसले पर रोक: रश्मि बर्वे प्रकरण - चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने से कोर्ट का इनकार
- उम्मीदवारी रद्द करने पर स्थगन की मांग खारिज
- बाकी आदेश भी रद्द होने का दावा
- दोनों पक्षों की अपनी-अपनी दलीलें
डिजिटल डेस्क, नागपुर. बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने जिला परिषद की पूर्व अध्यक्ष रश्मि बर्वे की जाति वैधता प्रमाण-पत्र रद्द करने के जाति प्रमाणपत्र सत्यापन समिति के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी है, लेकिन लोकसभा चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के कारण इस प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने से कोर्ट ने इनकार कर दिया है। न्या. अविनाश घरोटे और न्या. एम. एस. जवलकर ने आदेश में बताया कि समिति ने बर्वे को सुनवाई का अवसर नहीं दिया, यह स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार सहित अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी करते हुए 24 अप्रैल तक जवाब दायर करने के आदेश दिए।
अदालत से अनुरोध : नागपुर खंडपीठ में दायर याचिका में बर्वे ने दावा किया है कि, जाति वैधता प्रमाणपत्र से संबंधित मामले में मेरे खिलाफ जिला जाति प्रमाणपत्र सत्यापन समिति और सामाजिक न्याय विभाग द्वारा की जा रही कार्रवाई अवैध है। यह कार्रवाई राजनीतिक कारणों से की जा रही है। बर्वे ने अदालत से अनुरोध किया था कि उनकी जाति वैधता प्रमाणपत्र व लोकसभा चुनाव की उम्मीदवारी रद्द करने के फैसले पर स्थगन दिया जाए, ताकि उन्हें चुनाव में लड़ने का मौका मिले।
दोनों पक्षों की अपनी-अपनी दलीलें : मामले में एक आेर बर्वे के वकील ने दलील दी थी कि, जाति प्रमाणपत्र सत्यापन समिति को बर्वे का जाति वैधता प्रमाणपत्र रद्द करने का अधिकार नहीं है। साथ ही समिति अपने ही निर्णय पर फिर से कोई निर्णय नहीं ले सकती है। समिति ने बर्वे को सुनवाई का अवसर नहीं दिया, यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन है। वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार जांच का हवाला देते हुए जाति वैधता प्रमाणपत्र के लिए दिए गए बर्वे के दस्तावेज फर्जी होने के और उनके द्वारा दी गई वंशावली झूठी होने का दावा किया था। इस मामले में कोर्ट ने सभी की दलीलें सुनते हुए उक्त आदेश जारी किए। रश्मि बर्वे की ओर से एड. शैलेश नारनवरे, एड. समीर साेनवने, राज्य सरकार की ओर से मुख्य सरकारी वकिल देवेन चौहान ने पैरवी की।
उम्मीदवारी रद्द करने पर स्थगन की मांग खारिज
बर्वे ने अदालत से अनुरोध किया था कि उनकी जाति वैधता प्रमाणपत्र व लोकसभा चुनाव की उम्मीदवारी रद्द करने के फैसले पर स्थगन दिया जाए। कोर्ट ने जाति वैधता प्रमाणपत्र रद्द करने के समिति के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी है, लेकिन कोर्ट ने लोकसभा चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए उम्मीदवारी रद्द करने के फैसले पर स्थगन की मांग खारिज कर दी है।
इसलिए बाकी आदेश भी रद्द होने का दावा : बर्वे के वकील ने पंजाब राज्य बनाम दविंदर सिंह और लेह लद्दाख इन दोनों मामलों में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का आधार देते हुए दावा किया है कि, कोर्ट अगर मूल फैसले पर रोक लगता है तो उस फैसले के आधार पर पूर्व में लिए गए आदेश अपने आप रद्द हो जाते हैं। बर्वे के मामले में जाति सत्यापन समिति ने जाति वैधता प्रमाणपत्र रद्द किया। इस फैसले के आधार पर उनकी उम्मीदवारी रद्द करने का फैसला लिया गया है। इसलिए बर्वे के मामले में भी बाकी आदेश रद्द होने की संभावना जताई जा रही है।