सरकार पर आरोप: उठा सवाल - मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना के लिए सामाजिक न्याय विभाग क्यों

  • शिक्षा संगठन ने उठाया सवाल
  • छात्रों को शिक्षा से अवरुद्ध करने का सरकार पर आरोप
  • अनुसूचित जाती के लिए अलग बजट हो

Bhaskar Hindi
Update: 2024-07-17 15:34 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर. सरकार ने राज्य के सभी धर्मां के 60 वर्ष उम्र के वरिष्ठ नागरिकों को लिए निशुल्क तीर्थ दर्शन योजना शुरू करने का फैसला लिया गया है। सामाजिक न्याय और विशेष सहायता विभाग के तहत योजना का अंमल करने के लिए जीआर जारी किया गया है। लेकिन इस योजना पर अब शिक्षा संगठनों सवाल उठाया है। शिक्षा संगठनो का कहना है कि, मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना को महाराष्ट्र के पर्यटन और संस्कृति विभाग के तहत लागू किया जाना चाहिए था। लेकिन यह योजना सामाजिक न्याय विभाग के तहत लागू की जा रही है। सरकार का यह फैसला छात्रों की शिक्षा से उन्हे अवरुद्ध करने जैसा है, यह भी शिक्षा संगठनाे ने सरकार पर आरोप लगाया है।

मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना को कार्यान्वित करने के लिए सामाजिक न्याय विभाग ने 14 जुलाई 2024 को एक जीआर जारी किया है। यह योजना वरिष्ठ नागरिकों के लिए निशुल्क है। इस योजना के तहत एक व्यक्ति पर ज्यादा से ज्यादा 30 हजार रुपए का खर्चा किया जाएगा। इसमें यात्रा, भोजन और आवास शामिल है।

सरकार के इस फैसले पर आपत्ति जताते हुए मानव अधिकार संरक्षण मंच ने कहा कि, सामाजिक न्याय विभाग से छात्रों को दो-दो साल तक स्कॉलरशीप नहीं मिलती। विदेशी शिक्षा के लिए सरकार के पास देने के लिए पैसा नहीं है। छात्रावासों में छात्रों को छह-छह महीने तक निर्वाह भत्ता नहीं दिया जाता। सामाजिक न्याय विभाग के तहत बीस हजार करोड़ का बजट में प्राधवना है, इसके बावजुद छात्रों को योजना के लाभ से वंचित रहना पड़ता है। लेकिन कभी महापुरुषों के स्मारक पर तो कभी कार्यक्रमों के नाम पर तो कभी संजय गांधी निराधार योजना, दिव्यांगों की योजनाओं पर करोड़ो रुपए खर्च किए जाते हैं, जिनका सामाजिक न्याय विभाग के कोई लेना-देना नहीं है।

अनुसूचित जाती के लिए अलग बजट हो

मानव अधिकार संरक्षण मंच के सदस्य आशिष फुलझेले ने कहा कि, सामाजिक न्याय एवं विशेष सहायता विभाग विशेष रूप से अनुसूचित जाति के कल्याण के लिए बनाया गया है। इस कारण विभाग के तहत बीस हजार करोड़ सिर्फ अनुसूचित जाति के उत्थान के लिए खर्च किये जाने चाहिए। इसलिए अब समय आ गया है कि अनुसूचित जाती के लिए एक अलग बजट कानून बनाया जाए।

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