मंथन: भाजपा में उठा सवाल - जीत के अंतर का लक्ष्य क्यों नहीं पा सके, दिखा रहे आईना

  • बूथ स्तर के पदाधिकारी होने लगे मुखर
  • बड़े नेताओं को दिखा रहे आईना

Bhaskar Hindi
Update: 2024-06-27 15:01 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर। लोकसभा चुनाव के परिणाम को लेकर भाजपा में मंथन का दौर चल रहा है। नागपुर में जीते लेकिन जीत के अंतर के लक्ष्य को नहीं पा सकने को लेकर सवाल उठाये जा रहे हैं। बूथ स्तर के पदाधिकारियों से कई सवाल किए जा रहे हैं। इस बीच पदाधिकारी भी मुखर होकर बड़े नेताओं पर सवाल दागने लगे है। साफ कहा जा रहा है कि चुनाव के परिणाम के लिए केवल छोटे पदाधिकारियों को ही जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। भाजपा के लोकसभा चुनाव प्रमुख रहे प्रवीण दटके, प्रदेश उपाध्यक्ष संजय भेंडे, शहर अध्यक्ष बंटी कुकडे सहित अन्य पदाधिकारियों ने विधानसभा क्षेत्र स्तर से लेकर प्रभाग स्तर के पदाधिकारियों की बैठक ली है। बैठकों का दौर जारी है। नितीन गडकरी की उम्मीदवारी में भाजपा ने लगातार 3 बार चुनाव जीता है, लेकिन जीत का अंतर लगातार कम हो रहा है। 2014 में लोकसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार नितीन गडकरी ने कांग्रेस उम्मीदवार को 2.80 लाख मतों के अंतर से पराजित किया था। 2019 में जीत का अंतर 2.16 लाख रहा। लेकिन 2024 में जीत का अंतर 1.37 लाख होकर रह गया है। हालांकि इस बार भाजपा ने नागपुर में जीत के अंतर का लक्ष्य 5 लाख रखा था।

नेता तो बात तक नहीं करते थे

लोकसभा चुनाव की पराजय का कारण जानने के लिए भाजपा ने विविध स्तर पर समीक्षा व जानकारियां जुटाने का काम शुरु किया है। जिन विधानसभा क्षेत्र व प्रभाग में भाजपा को अधिक नुकसान हुआ वहां के प्रमुख पदाधिकारी, पूर्व नगरसेवक, चुनाव के समय संगठन का दायित्व संभालनेवाले कार्यकर्ताओं की बैठकें ली जा रही है। विधायक व पूर्व विधायक को भी इस समीक्षा कार्य की जिम्मेदारी दी गई है। इस दौरान कई बातें सामने आ रही है उसमें यह भी प्रमुखता से कहा जा रहा है कि चुनाव के समय भाजपा के कई स्थानीय नेता कार्यकर्ताओं से बात तक नहीं करते थे। चुनाव कार्य संबंधी सेवा सुविधाओं के मामले में छोटे पदाधिकारियों को कोई सहायता नहीं की जा रही थी। बड़े नेता या उनके पीए, करीबी नेताओं से संपर्क करने का कहा जाता था। दक्षिण नागपुर में एक पूर्व महिला नगरसेवक के पति ने कार्यकर्ताओं की व्यथा व्यक्त करते हुए सवाल पूछ रहे बड़े पदाधिकारी की बोलती ही बंद करा दी। बैठक में खुलकर कह दिया कि गडकरी अपने बल पर जीते वरना उनके आसपास घूमते रहनेवाले नेता तो इस बार मानों पराजय की उम्मीद लगाए बैठे थे। एक पदाधिकारी ने यह भी कहा कि चुनाव को केवल गडकरी की इमेज के भरोसे छोड़ दिया गया था। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के सबसे करीबी कहलवा रहे कुछ नेताओं से ही पूछा जाए कि उन्होंने किस क्षेत्र में ईमानदारी से काम किया।

संगठन के कैडर कार्यकर्ताओं की भी समीक्षा

संगठन में कैडर कार्यकर्ता कहलाने वाले कुछ नेताओं की भी कार्य समीक्षा की जा रही है। विदर्भ में दो से तीन लोकसभा सीटों पर प्रमुख संगठन पदाधिकारी की अनुशंसा पर उम्मीदवार तय किए गए। सर्वे और कार्यकर्ताओं की मांग को भी दरकिनार रखा गया। अब कहा जाने लगा है कि लंबे समय से संगठन की जिम्मेदारी संभाल रहे कुछ नेता भी चुनाव के समय पक्षपात करने लगे हैं। इन पदाधिकारियों की कार्य समीक्षा कर उचित निर्णय लिए जाएंगे।

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