हाईकोर्ट: वृक्षारोपण पर सवाल- यदि कॉन्ट्रैक्ट देते हो, तो पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध क्यों नहीं

  • वर्धा-आर्वी महामार्ग के वृक्षारोपण पर हाईकोर्ट सवाल
  • ठेकेदार-अधिकारियों को बचाने की कोशिश पर कोर्ट ने फटकारा
  • प्रोग्रेस रिपोर्ट दायर करने के आदेश

Bhaskar Hindi
Update: 2024-07-31 15:19 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर. वर्धा जिले के आर्वी शहर से जाने वाले महामार्ग के लिए 78 पेड़ों की कटाई के अनुमती के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में जनहित याचिका दायर है। इस मामले में बुधवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि नियमानुसार रस्ता चौड़ीकरण के लिए पेड़ काटे जाते हैं, तो उनके बदले में वृक्षारोपण करना आवश्यक है। एक ओर सरकार द्वारा रस्ते के चौड़ीकरण के लिए ठेकेदार को कॉन्ट्रक्ट दिया जाता है, लेकिन काटे गए पेड़ों के बदले वृक्षारोपण करने बात आती है, तब सरकार से लेकर ठेकेदार सभी अपने हाथ खड़े करते हैं। जब कॉन्ट्रैक्ट देते हो तो फिर पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रतिबद्धता क्यू नहीं दिखाते? यह सवाल कोर्ट ने किया। साथ ही कोर्ट ने वृक्षारोपण के मुद्दे पर सिर्फ खानापूर्ति करने वाले ठेकेदार और अधिकारियों को बचाने की कोशिश पर जमकार फटकार लगाई।

नागपुर खंडपीठ में पेड़ों के कटाई के खिलाफ श्रीकांत देशपांडे ने जनहित याचिका दायर की है। मामले पर बुधवार को न्या. नितीन सांबेर और न्या. अभय मंत्री के समक्ष सुनवाई हुई। याचिका के अनुसार, राष्ट्रीय महामार्ग जाने वाले आर्वी के रास्ते को चौड़ाकरण करने के लिए 78 पेड़ों की कटाई करने को मंजूरी दी गई। वृक्ष समिति के रिपोर्ट के अनुसार, वृक्ष विशेषज्ञ ने तोड़े जाने वाले 78 पेड़ों का निरीक्षण किया। इन 78 में से 56 पुराने पेड़ है और 22 अन्य पेड़ हैं। इन पेड़ों की उम्र ज्यादा होने से ऑक्सीजन उत्सर्जन करने की क्षमता कम हो रही है। इसी आधार पर 78 पेड़ो की कटाई करने को और इसके मुआवजे के रुप में मौजा सारंगपुरी यहा 6200 पेड़ लगाने का फैसला लिया गया।

पिछली सुनावाई में पेड़ों की कटाई के नियमों के बड़े पैमाने पर उल्लंघन करने की बात सामने आई थी, इसपर कोर्ट ने आर्वी नगर पालिका के अधिकारीयों पर नाराजगी जताई। साथ ही कोर्ट ने पेड़ों की कटाई की अनुमति देने के लिए एक नई समिति बनाने और अन्य उपाय करने का सुझाव दिया था। इस मामले पर बुधवार को हुई सुनवाई में वृक्षारोपण को लेकर संतोषजनक जवाब न मिलने से कोर्ट ने उक्त मौखिक टिप्पणी करते हुए नाराजगी जताई। याचिकाकर्ता की ओर से एड. के. एस. अग्रवाल और राज्य सरकार की ओर से मुख्य सरकारी वकील देवेन चौहान ने पैरवी की।

प्रोग्रेस रिपोर्ट दायर करने के आदेश

वर्धा-आर्वी महामार्ग के वृक्षारोपण पर सरकार ने कोर्ट को अप्रैल महीने में उचित कदम उठाने की जानकारी दी थी। लेकिन अब तीन महिने बीत जाने के बाद भी वृक्षारोपण को लेकर कोई जमिनी तैयारी न होने के वजह से कोर्ट ने फटकारा। कोर्ट ने यह भी कहा की आप सिर्फ जानकारी देते हो, लेकिन उसपर कुछ काम नहीं करते हो। इसलिए कोर्ट ने सरकार को दो सप्ताह में इसकी प्रोग्रेस रिपोर्ट दायर करने के आदेश दिए है।

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