इंतजार: राज्य सरकार से नहीं मिल रही पीडब्ल्यूडी को निधि, ठेका एजेंसी से मान-मनौव्वल
- नाममात्र ही भुगतान
- नियमित रूप से काम जारी
- राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा है
डिजिटल डेस्क, नागपुर. उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस और केन्द्रीय मंत्री नितीन गडकरी के शहर में पीडब्ल्यूडी को निधि के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। लंबे समय से करीब 200 करोड़ के अलग-अलग प्रस्तावों के प्रलंबित होने से आला अधिकारियों को ठेका एजेंसी से मनौव्वल कर कामों को पूरा करना पड़ रहा है। राज्य सरकार की अनदेखी का आलम यह है कि साल 2022 के विधानमंडल अधिवेशन के 58 करोड़ के कामों को लेकर 8 दिनों पहले रकम का भुगतान हुआ है, जबकि अब भी प्रशासकीय इमारतों और रिहायशी इमारतों की देखभाल निधि के अभाव में रोकनी पड़ गई है।
इस कारण नाममात्र ही भुगतान
प्रशासकीय इमारतों की देखभाल और दुरूस्ती के लिए 2059 फंड में प्रतिवर्ष करीब 100 करोड़ का बजट आवंटन होता है। इसके साथ ही सरकारी रिहायशी क्वार्टर्स और बंगलों की देखभाल के लिए भी 2216 फंड में 100 करोड़ की निधि का प्रावधान होता है। इन दोनों बजट प्रावधानों में ही विधानमंडल के शीतसत्र के आयोजन को भी शामिल किया जाता है, लेकिन पिछले दो सालों से राज्य सरकार और वित्त विभाग से दोनो बजट में निधि का पर्याप्त रूप से भुगतान नहीं हो रहा है। ऐसे में करीब 200 करोड़ से अधिक के प्रस्ताव लंबित पड़े हुए हैं।
नियमित रूप से काम जारी
अभिजीत कुचेवार, कार्यकारी अभियंता, लोकनिर्माण विभाग क्रमांक 1 के मुताबिक शहर में विभागीय आयुक्त कार्यालय दुरूस्ती समेत अन्य निर्माणाधीन कामों को सुचारू किया जा रहा है। विधानमंडल शीतसत्र के कामों का निरीक्षण और गणना की प्रक्रिया की जा रही है। ऐसे में कई प्रस्तावों को जल्द ही भेजा जाएगा।|
राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा है
जनार्दन भानुसे, अधीक्षक अभियंता, लोकनिर्माण विभाग के मुताबिक विधानमंडल सत्र 2022 के प्रलंबित बिलों का लगभग भुगतान हो चुका है, जबकि पिछले शीत सत्र के बिलों को लेकर प्रक्रिया चल रही है। वित्त विभाग से जल्द ही भुगतान होने की उम्मीद है।
काम ठेका एजेंसी के भरोसे
निधि के अभाव में शहर में कई महत्वपूर्ण जीर्णोद्धार और दुरूस्ती के कामों में दिक्कत हो रही है। इन इमारतों में विभागीय आयुक्त कार्यालय की हेरिटेज इमारत, हाईकोर्ट परिसर में एक्स्टेंशन इमारत, छत के डोम और महल परिसर में नेशनल लाइब्रेरी जीर्णोद्धार का समावेश है। विभागीय आयुक्त कार्यालय इमारत के लिए करीब 12 करोड़ की लागत से ठेका एजेंसी को जिम्मेदारी दी गई है, जबकि हाई कोर्ट इमारत विस्तारीकरण के लिए 1.50 करोड़ और महल की नेशनल लाइब्रेरी इमारत जीर्णोद्धार के लिए भी 1.50 करोड़ की लागत अनुमानित है। विभागीय आयुक्त कार्यालय की इमारत का काम 8 माह से जारी है, लेकिन अब तक ठेका एजेंसी को केवल 50 लाख ही भुगतान किया जा सका है।
गुणवत्ता को लेकर बेबसी
करीब 8 माह पहले लोकनिर्माण विभाग ने हेरिटेज श्रेणी की विभागीय आयुक्त कार्यालय इमारत का जीर्णोद्धार आरंभ किया है। निजी ठेका एजेंसी को 12 करोड़ की जिम्मेदारी दी गई है, लेकिन रनिंग बिल के नाम पर केवल 50 लाख रुपए का भुगतान किया गया है। ऐसे में ठेका एजेंसी ने काम रोकने की चेतावनी दी। लोकनिर्माण विभाग ने खुद के खर्च से कामों को पूरा करने का आग्रह किया। अब ठेका एजेंसी से गुणवत्ता को लेकर अधिकारी दबाव बनाने से बचने का प्रयास कर रहे हैं। यही स्थिति महल की नेशनल लाइब्रेरी और हाईकोर्ट इमारत के कामों में भी बनी हुई है।