सेवानिवृत्त शिक्षकों का प्रदर्शन: नरखेड़ में 9 से धरना प्रदर्शन, मांगें पूरी होने तक जारी रहेगा
- 9 से धरना प्रदर्शन
- मांगें पूरी होने तक प्रदर्शन की चेतावनी
- सेवानिवृत्त शिक्षकों का प्रदर्शन
डिजिटल डेस्क, नरखेड़. पिछले कई वर्षों से सेवानिवृत्त प्रधान शिक्षकों की मांगें लंबित हैं। समय-समय पर सरकार को ज्ञापन सौंपा गया। जिलाधिकारी से लेकर मुख्यमंत्री तक कई बैठकें हो चुकी, लेकिन सरकार ने अभी तक शिक्षकों की मांगों को हल करने में रुचि नहीं दिखाई। जिसके चलते सोमवार 9 अक्टूबर से नरखेड़ में पंचायत समिति स्तर पर धरना एवं थालीनाद आंदोलन किए जाने का ऐलान महाराष्ट्र राज्य उच्च श्रेणी प्राचार्य एवं सेवानिवृत्त प्राथमिक शिक्षक महासंघ जिला शाखा नागपुर की ओर से आयोजित पत्रकार परिषद में किया गया। इसके अनुरुप महासभा ने अपनी मांगों को पूरा करने के लिए नागपुर जिले की 13 तहसील में पंचायत समिति स्तर पर विरोध प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है।
संगठन ने मांग की है कि, सेवानिवृत्त शिक्षकों को सेवानिवृत्ति के बाद का पूरा लाभ तुरंत दिया जाए। सरकारी गलतियों के कारण एक या दो साल की अवधि बीतने के बाद भी सेवा ग्रेच्युटी फ्रैक्शनलाइजेशन नहीं दिया गया। समूह बीमा योजनाओं का भुगतान सेवानिवृत्ति के समय सममूल्य गणना के साथ किया जाना चाहिए। नागपुर जिप ने 2019 से समूह बीमा योजना की राशि का भुगतान नहीं किया है। महाराष्ट्र सरकार को 1 जनवरी 2016 से सातवां वेतन आयोग लागू करना चाहिए। राष्ट्रीय राज्य एवं जिला स्तरीय उत्कृष्ट शिक्षक पुरस्कार प्राप्त शिक्षकों को विशेष वेतन वृद्धि, सेवानिवृत्त शिक्षकों को हर माह की एक तारीख को पेंशन का भुगतान किया जाए। जिस प्रकार स्कूल शिक्षा विभाग के अंतर्गत शिक्षकों को कोषागार से पेंशन दी जाती है, उसी तर्ज पर जिप के सभी शिक्षकों को कोषागारों से पेंशन जैसी कुल 16 मांगें संगठन द्वारा सरकार के समक्ष रखी गई हैं।
इसी प्रकार 24 वर्ष की सेवा पूरी करने पर लाभार्थियों को शत-प्रतिशत चयन श्रेणी का लाभ, वरिष्ठ श्रेणी और 12 वर्ष की सेवा के बाद चयन श्रेणी का लाभ देने की मांगों से महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष अशोक दगड़े, महासचिव दीपक सावलकर, एसजी ठाकरे, विनोद राऊत आदि ने नरखेड में आयोजित पत्र परिषद में अवगत कराया। साथ ही मांगें पूरी होने तक आंदोलन जारी रखने की चेतावनी दी गई। पत्र परिषद में जीवन डुफरे, नरेंद्र गोले, सुनील मोहोड़, संजय वल्के, साहेबराव कालबंदे, सुरेश बेलखड़े, रमेश बावने आदि उपस्थित थे।