उम्मीद 2024: सर्कुलर इकोनॉमी से समृद्धि - विदर्भ और नागपुर के आस पास हैं काफी संभावनाएं
- नया साल नई उम्मीदें लेकर आया
- चतुर्मुखी विकास में कई नए आयाम जुड़ेंगे
- संसाधनों में इजाफा सुविधाओं और सौगातें लेकर दहलीज पर खड़े
डिजिटल डेस्क, नागपुर। पिछले कुछ वर्षों से प्रधानमंत्री कार्यालय एवं नीति आयोग सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा देने के लिए जोर लगा रहा है। इस योजना का उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा वेस्ट मटेरियल को पुनः प्रक्रिया कर उसे इस्तेमाल करना है, ताकि कई महत्त्वपूर्ण संसाधनों को आने वाली पीढ़ी के लिये संरक्षित रखा जाए। विदर्भ एवं नागपुर के आस पास इस क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं, इसमें भरपूर रोजगार और देश की बढ़ती आवश्यकताओं के लिए नई पूंजी का निर्माण किया जा सकता है।
प्राकृतिक संसाधन विशेषज्ञ प्रदीप माहेश्वरी के अनुसार विदर्भ में बड़े पैमाने पर खनिज उत्पादन होता है। पिछले कई दशकों से सभी खदानों में बड़ी मात्रा में ओवर बर्डन पड़ा हुआ है। इसमें कई तरह के गौण खनिज, रेत, फायर क्ले, बोल्डर गिट्टी आदि निर्माण क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाली वस्तुएं हैं। इन्हें मशीनों द्वारा अलग किया जा सकता है और माइनिंग विभाग के दिशा-निर्देशानुसार रॉयल्टी जमा कर बेचा जा सकता है। इस मामले में राज्य सरकार उचित पहल कर पाॅलिसी बना सकती है, ताकि आगे का मार्ग प्रशस्त हो सके।
यहां बड़ी उम्मीदें
लघु उद्योगों के लिए भरपूर संभावनाएं है। क्रशिंग, स्क्रीनिंग, मिनरल बेनिफिशियेशन आदि उद्योग ग्रामीण क्षेत्रों में लगाए जा सकते हैं।
उपलब्धता अधिक मात्रा में होने से बड़ी संख्या में उद्योग लाए जा सकते हैं और ग्रामीण अर्थ व्यवस्था को मजबूत बनाया जा सकता है।
विदर्भ में अत्यधिक खदानें होने की वजह से सर्कुलर इकॉनोमी के क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा रोजगार उत्पन्न हो, इस दिशा में प्रयास जरूरी है।
राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण रिवर सैंड के अधिक इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा सकता है। ऐसे में रीसाइक्लिंग से पर्यावरण एवं प्रकृति दोनों का फायदा है।
हल की जा सकती है प्रदूषण की समस्या
विदर्भ के ताप बिजली घरों में बड़ी मात्रा में राख का उत्पादन होता है, कम परिक्षेत्र में अत्यधिक मात्रा में कोयला जलाने से बड़ी मात्रा में प्रदूषण एवं पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है। अधिक राख संग्रहण से बांध टूटने का खतरा बढ़ जाता है। इसे भी सर्कुलर इकोनॉमी में सीमेंट ग्राइंडिंग यूनिट लगाकर हल किया जा सकता है।
कोराडी एवं खापरखेड़ा में उचित इनसेंटिव देकर बड़ी सीमेंट कंपनियों को आकर्षित किया जा सकता है। सीमेंट पर 28% जीएसटी होने की वजह से सरकार की आय में इजाफा होगा और इंसेंटिव की भरपाई भी हो जाएगी।
वेस्ट से वेल्थ निर्माण कर नई पूंजी देश के विकास के लिए बनाई जा सकती है और ग्रामीण क्षेत्र में रोज़गार निर्मिति की जा सकती है।
विकास
जीरो माइल मेट्रो स्टेशन -20 मंजिला इमारत के प्रकल्प को गति
जीरो माइल फ्रीडम पार्क मेट्रो स्टेशन का उद्धाटन हुए 2 वर्ष से अधिक का समय बीत गया, लेेकिन अब तक यहां 20 मंजिला इमारत तैयार नहीं की जा सकी। पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) आधार पर 20 मंजिला इमारत तैयार करने की योजना है, लेकिन इमारत चौथे माले से ऊपर नहीं उठ सकी। सभी चार माले पूरी तरह से महामेट्रो के कब्जे में हैं।
रफ्तार
मेट्रो - अद्भूत चार मंजिला फ्लाई ओवर
उधर कामठी मार्ग पर गड्डीगोदाम, गुरुद्वारा के पास चार मंजिला पुल तैयार करने की प्रक्रिया मेट्रो की ओर से जारी है। सबसे नीचे लोकल, दूसरे माले पर रेलगाड़ियां, तीसरे माले पर हाईवे व चौथे माले पर सबसे ऊपर मेट्रो दौड़ने वाली है। इंजीनियरिंग का यह नमूना देश के लिए ही नहीं, पूरी दुनिया के लिए मिसाल होगी।
चुनौतियों का सामना
स्ट्रक्चर पहले बुटीबोरी में खड़ा किया, फिर 250 टन क्षमता वाले 2 क्रेन से गड्डीगोदाम लाया गया। गड्डीगोदाम में खड़ा करने के लिए 500 टन क्षमता की 2 क्रेन का उपयोग किया। निर्माण कार्य बेहद जटिल माना जा रहा है, लेकिन इंजीनियर अपना लोहा मनवा रहे हैं।
स्ट्रक्चर की विशेषता
24 मीटर जमीन से उंचाई, लंबाई 80 मीटर एवं चौड़ाई 18 मीटर। |
1634 टन कुल वजन है। |
154 कर्मचारियों ने पुल को छोटे पार्ट्स में तैयार किया। |
78000 एएसएफजी (हाइट स्ट्रेंथ फ्रिक्शन ग्रीप) बोल्ट का उपयोग किया गया। |
सुविधा
मील का पत्थर - सबसे लंबा फ्लाई ओवर
शहर के सबसे लंबे इंदाैरा-दिघोरी फ्लाई ओवर कई मायनों में अहम है। उत्तर से निकलने वाला यह फ्लाई आेवर मध्य नागपुर से होकर दक्षिण नागपुर तक होगा। 2024 में यह फ्लाई ओवर आकार ले सकता है।
वर्धमान नगर से उमरेड रोड तक बनने वाले इस फ्लाई ओवर की लंबाई लगभग 3 किमी है।
799 करोड़ की लागत
8 किमी लंबा फ्लाई ओवर।
एनएचएआई की निगरानी में एनसीसी कंपनी काम कर रही है। कनेक्टिविटी सीधे ग्रामीण से जुड़ेगी।
यातायात जाम से निजात मिलने के साथ ही परिवहन व्यवस्था भी सुलभ व सुचारु हो सकेगी।
यह फ्लाई ओवर उत्तर, मध्य व दक्षिण नागपुर की यातायात समस्या को दूर करेगा।