डिजिटल रामायण: प्रभु रामचंद्र को अहंकार का ज्ञान था, तो रावण को ज्ञान का अहंकार - गडकरी
- डिजिटल रामायण के प्रकाशन समारोह में बोले गडकरी
- बोलता हुआ ग्रंथ लोगों को पसंद आएगा
डिजिटल डेस्क, नागपुर| प्रभु रामचंद्र को अहंकार का ज्ञान था, लेकिन रावण को ज्ञान का अहंकार था। इतना बड़ा फर्क राम और रावण में था। इसलिए हमारे देश में प्रभु रामचंद्र को मानने वाला एक बड़ा वर्ग है। प्रत्येक को अपना पुत्र, भाई और राजा राम जैसा चाहिए। ऐसे में राम के जीवन पर आधारित रामायण डिजिटल स्वरूप में आना प्रशंसनीय बात है। इस डिजिटल रामायण के कारण भारत के घर-घर में अध्यात्म बढ़ेगा और सुसंस्कारित समाज निर्माण करने में योगदान महत्वपूर्ण रहेगा। यह प्रतिपादन केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी ने किया।
यह बोलता हुआ ग्रंथ लोगों को पसंद आएगा
‘सेफ शॉफ डायरेक्ट दिल से’ समूह की ओर से आयोजित डिजिटल रामायण के प्रकाशन समारोह में श्री गडकरी की प्रमुख उपस्थिति थी। पर्सिस्टंट सभागृह में आयोजित समारोह में डीएमपी प्रा. लि. के संचालक योगेश वाधवा, प्रा. गिरीश देशमुख, संजय जैन, जीवन मगर, विवेक सुरानी, कंवलजीत उपस्थित थे।
गडकरी ने कहा कि आधुनिक तकनीक का उपयोग कर तैयार किया गया डिजिटल रामायण अद्भुत है। यह बोलता हुआ ग्रंथ लोगों को पसंद आएगा और वह मन से उसे स्वीकारेंगे। जिस जगह पर पेन रखा जाएगा, उसका विवेचन अत्यंत श्रवणीय शब्द में सुनाई देगा। जिस कारण रामायण के बारे में युवाओं में आकर्षण बढ़ेगा। वे फिर से अध्यात्म की ओर बढ़ेंगे। प्रास्ताविक प्रा. गिरीश देशमुख ने किया।
चार वर्ष की तपश्चर्या
योगेश वाधवा ने कहा कि डिजिटल रामायण तैयार करने के लिए लगभग 4 वर्ष का समय लगा। इसमें 850 पेज हैं। 600 घंटे की ऑडियो रिकार्डिंग है। इसमें विविध भाषा है। यह ग्रंथ हाथ में आने के बाद प्रत्येक को पढ़ने की रुचि निर्माण होगी।