नागपुर: जिला परिषद में निधि की आड़ में राजनीति, निधि को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर
- सत्तापक्ष : निधि आवंटन में सरकार कर रही पक्षपात
- विपक्ष : प्राप्त निधि खर्च करने में पदाधिकारी असमर्थ
डिजिटल डेस्क, नागपुर. जिला परिषद में निधि के आड़ राजनीति शुरू हो गई है। जिप में महाविकास आघाड़ी की सत्ता है। भाजपा विपक्ष में है। राज्य की महाआघाड़ी सरकार जिला परिषद को निधि आवंटन में पक्षपात कर रही है। विरोधी दल का दावा है कि, राज्य सरकार ने निधि आवंटन में कोई कमी नहीं छोड़ी। प्राप्त अनुदान निर्धारित समयसीमा के भीतर खर्च करने में जिप पदाधिकारी असमर्थ हैं।
भाजपा के जिला महामंत्री गज्जू यादव ने जिप पदाधिकारियों को निधि खर्च करने में असमर्थ बताते हुए, खर्च नहीं हो पाई निधि अन्य विभागों के माध्यम से खर्च करने की मांग का विभागीय आयुक्त को ज्ञापन सौंपा। वहीं जिप अध्यक्ष ने सभी विभागों के खर्च की समीक्षा कर निधि खर्च के मामले में समाधान व्यक्त किया। अन्य जिलों के मुकाबले नागपुर जिला खर्च में आगे रहने का दावा करते हुए निधि खर्च करने में असमर्थ रहने के आरोप का अप्रत्यक्ष खंडन किया।
निधि खर्च नहीं हुई, निजी बैंक में है
गज्जू यादव का कहना है कि, दो साल में जिला वार्षिक योजना की 65 करोड़ निधि जिला परिषद खर्च करने में असमर्थ रही। वह निधि जिला परिषद के पास है। एक निजी बैंक में रखी गई है। जिला परिषद का कहना है कि, वित्तीय वर्ष 2021-2022 में सरकार ने निधि आवंटित करने के बाद डेढ़ साल निधि खर्च करने पर रोक लगा दी थी। रोक हटने के बाद निधि खर्च करने के लिए 28 फरवरी 2024 तक अवधि दी गई, जो नाकाफी है। जिला परिषद में कई स्तर पर मंजूरी प्रक्रिया से लेकर कार्यादेश जारी करने में यह अवधि कम पड़ गई, इसलिए निधि खर्च नहीं हो पाई। वित्तीय वर्ष 2023-2024 की निधि विलंब से मिली। उसके बावजूद अपेक्षा से ज्यादा निधि खर्च की गई। सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप से जिला परिषद की राजनीति गरमा रही है।