रोड़ा: राजनीतिक उथल-पुथल का विकास कार्यों पर हो रहा असर, मनपा के अनुदान पर भी छाया संकट
- 126 करोड़ की जीएसटी राशि नहीं मिली
- वित्त मंत्री पवार के पास अटकी फाइल
- मनपा के फंड से ही हो रहा कार्य
नीरज दुबे , नागपुर । प्रदेश में राजनीतिक बदलाव का असर उपराजधानी के विकास कार्यों पर पड़ने लगा है। राज्य सरकार से प्रतिमाह जीएसटी सानुग्रह अनुदान की 126 करोड़ की राशि पर संकट नजर आ रहा है। बताया जा रहा है कि वित्त मंत्री अजित पवार के पास फाइलें अटकी हुई हैं। वित्त मंत्री के हस्ताक्षर नहीं होने से अनुदान में देरी हो रही है। अनुदान के अभाव में मनपा की मूलभूत सुविधाओं और विकास कामों के भुगतान पर असर पड़ रहा है। हालांकि मनपा के आला अधिकारियों का दावा है कि मनपा फंड से कामों को पूरा किया जा रहा है।
पहले सप्ताह में मिल जानी चाहिए : उपमुख्यमंत्री फडणवीस के वित्त मंत्रालय संभालने के चलते राज्यभर में मनपा और नगर पालिका को नियमित रूप से अनुदान भुगतान होता रहा। साल में दो बार फडणवीस अनुदान की फाइल पर हस्ताक्षर के लिए वित्त सचिव को अनुदान भुगतान के लिए प्राधिकृत करते रहे। अब राकां नेता अजित पवार के हाथ वित्त मंत्रालय की कमान है। प्रतिमाह वित्त मंत्री के रूप में अनुदान की फाइल पर अजित पवार हस्ताक्षर कर भुगतान के लिए प्रक्रिया कराते हैं। राज्यभर में अनुदान भुगतान में देरी हो रही है। इस बार पहले सप्ताह में जीएसटी अनुदान के रूप में 126 करोड़ की राशि का महानगर पालिका को भुगतान नहीं हुआ है। ऐसे में मनपा आर्थिक संकट का सामना कर रही है।
दो दिनों में अनुदान मिलेगा : राज्य सरकार से अनुदान आवंटन को लेकर प्रक्रिया पूरी हो गई है। अगले दो दिनों में मनपा के जीएसटी अनुदान के मिलने की संभावना है। मनपा की आरक्षित निधि से जरूरी कामों को पूरा किया जा रहा है। मनपा में किसी प्रकार के आर्थिक संकट की स्थिति नहीं है। - सदाशिव शेलके, मुख्य लेखा एवं वित्त अधिकारी, मनपा
राज्यभर में पड़ रहा असर : गौरतलब है कि राकां के सरकार में शामिल होने से पहले मनपा के जीएसटी अनुदान का प्रतिमाह के पहले सप्ताह में भुगतान होता रहा है, लेकिन नए समीकरण में अजित पवार के वित्त मंत्री बनते ही राज्यभर की महानगर पालिका और नगर पालिका के अनुदान पर असर दिखाई दे रहा है। राज्य सरकार से प्रतिमाह जीएसटी सानुग्रह अनुदान की 126 करोड़ की राशि पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं। उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस के वित्त मंत्रालय संभालते हुए वित्त सचिव को पहले सप्ताह में भुगतान की फाइल पर हस्ताक्षर करने का निर्देश होता था, जिसके चलते मनपा को समय रहते अनुदान राशि मिल जाती थी, लेकिन इस माह 16 फरवरी बीत जाने के बाद भी मनपा को 126 करोड़ का अनुदान नहीं मिल पाया है।
भुगतान के लिए मशक्कत : ठेकेदारों के बिलों के भुगतान के साथ ही ईंधन भुगतान, बिजली बिल भुगतान के लिए मनपा को मशक्कत करनी पड़ रहा है। जलसंपदा विभाग से पानी लेने, पेंच जल शुद्धिकरण केंद्र के बिजली बिल के रूप में 8 करोड़ रुपए और स्ट्रीट लाइट बिल के रूप में 2.50 करोड़ समेत कुल 10 करोड़ का बिजली बिल भुगतान करना होता है। इसके साथ ही मनपा के वाहनों और अग्निशमन वाहनों के ईंधन खर्च के रूप में करीब 1 करोड़ रुपए, अधिकारियों, कर्मचारियों के वेतन, पेंशन पर प्रतिमाह करीब 62 करोड़ रुपए खर्च होता है। प्रतिमाह के 141 करोड़ के खर्च में 126 करोड़ रुपए का अनुदान मिलने के बाद भी 15 करोड़ रुपए का जुगाड़ प्रशासन को करना पड़ता है।
आर्थिक संकट की स्थिति : मनपा का वर्तमान आर्थिक साल में वार्षिक बजट 3267 करोड़ रुपए का रहा है। इसमें से 300 करोड़ के रूप में संपत्ति कर और करीब 300 करोड़ नगर रचना विभाग के शुल्क के रूप में राशि जमा होती है, जबकि 1500 करोड़ के रूप में जीएसटी सानुग्रह अनुदान के रूप में राज्य सरकार से प्रतिमाह की 126 करोड़ रुपए किश्त में मिलता है। दूसरी ओर कर्मचारियों के वेतन, पेंशन, बिजली बिल भुगतान, ईधन खर्च समेत अन्य खर्च के रूप में 141 करोड़ रुपए का प्रतिमाह व्यय होता है। प्रतिमाह के खर्च में मनपा को प्रतिमाह करीब 15 करोड़ की राशि के अंतर को पूरा करने के लिए मशक्कत करनी पड़ती है।
मुख्य बिंदु
मनपा का वार्षिक बजट 3267 करोड़ रुपए
सालाना 300 करोड़ संपत्ति कर आमदनी
सालाना 300 करोड़ नगर रचना विभाग शुल्क आमदनी
राज्य सरकार से प्रतिमाह जीएसटी अनुदान 126 करोड़ रुपए
मनपा का प्रतिमाह का खर्च 141 करोड़ रुपए