नागपुर: एट्रोसिटी के 93 मामलों में पुलिस की जांच प्रलंबित, कोर्ट में विचाराधीन हैं कई मामले

  • हाईकोर्ट में लंबित एट्रोसिटी के मामलों का शीघ्र निपटारा करे - विजयलक्ष्मी बिदरी
  • 93 मामलों में पुलिस की जांच प्रलंबित है

Bhaskar Hindi
Update: 2024-08-01 11:25 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर। नागपुर विभाग में 1989 से 30 जून 2024 तक एट्रोसिटी के कुल 8266 मामले दर्ज हुए, जिसमें 93 मामलों में पुलिस की जांच प्रलंबित होने का खुलासा हुआ है। कोर्ट में 1893 मामले प्रलंबित है। विभागीय आयुक्त विजयलक्ष्मी बिदरी ने अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम (एट्रासिटी) के तहत उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ में लंबित मामलों का शीघ्र निपटारा करने के आदेश प्रशासन को दिए। विभागीय आयुक्त बिदरी ने अपने कार्यालय में विभागीय सतर्कता एवं नियंत्रण समिति की बैठक लेकर इससंबंध में जरूरी दिशानिर्देश जारी किए। नागपुर समेत वर्धा, गड़चिरोली, चंद्रपुर, भंडारा, गोंदिया में दर्ज एट्रोसिटी व अब तक हुई कार्रवाई की समीक्षा की।

बैठक में नागपुर के विशेष पुलिस महानिरीक्षक डाॅ. दिलीप पाटिल-भुजबल, गढ़चिरोली के पुलिस उपमहानिरीक्षक अंकित गोयल, नागपुर अपराध शाखा के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त नितीन गोयल, नागपुर ग्रामीण पुलिस अधीक्षक हर्ष पोद्दार, नागपुर के अतिरिक्त जिलाधीश तुषार ठोंबरे, समाज कल्याण विभाग के क्षेत्रीय उपायुक्त डॉ. सिद्धार्थ गायकवाड, समाज कल्याण सहायक आयुक्त सुकेशिनी तेलगोटे, जिला परिषद जिला समाज कल्याण अधिकारी किशोर भोयर आदि उपस्थित थे। वीडियो कांफरेंसिंग के माध्यम से विभाग के सभी जिलाधीश, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, पुलिस उप महानिरीक्षक, पुलिस अधीक्षक और समाज कल्याण के सहायक आयुक्त उपस्थित थे।

नागपुर विभाग में एट्रोसिटी एक्ट के तहत वर्ष 1989 से 30 जून 2024 तक कुल 8266 अपराध सामने आए हैं, जिनमें 93 मामलों में अब तक पुलिस जांच लंबित है। कोर्ट में कुल 1893 मामले लंबित है। विभागीय आयुक्त बिदरी ने जिलेवार समीक्षा की तो अधिकांश जिलों में पुलिस जांच के तहत 80 फीसदी अपराधों पर हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने रोक लगा दी है। बिदरी ने सरकारी अभियोजकों को इन लंबित मामलों का निपटारा करने के आदेश दिए।

रिपोर्ट पेश करें

विभागीय आयुक्त बिदरी ने सरकारी अभियोजकों को पिछले छह माह में निस्तारित मामलों की और वर्तमान स्थिति की रिपोर्ट देने को कहा गया। एट्रोसिटी के तहत अपराधों की संख्या कम करने एवं घटित होने वाले अपराधों को रोकने के लिए एट्रोसिटी एक्ट के संबंध में जिला स्तर पर कार्यशाला का आयोजन किया जाए। इसके तहत अत्याचार के पीड़ितों को सरकार से संचालित विभिन्न योजनाओं का लाभ दिया जाए। उपविभागागयी अधिकारियों को तीन माह में एक बार बैठक लेकर इसकी रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए।



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