कोर्ट-कचहरी: जरीपटका आरओबी पर अदालत का फैसला सुरक्षित
जनहित याचिका पर संबंधित पक्षों ने रखी अपनी बात
डिजिटल डेस्क, नागपुर। जरीपटका रेलवे ओवर ब्रिज (आरओबी) और मेकोसाबाग से सेंट्रल माइन प्लानिंग एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट (सीएमपीडीआई) फ्लाई ओवर इन दोनों परियोजनाओं के तकनीकी त्रुटियों को ठीक करने की मांग करते हुए बाम्बे हाई कोर्ट के नागपुर खंडपीठ में जनहित याचिका दायर की गई है। मामले पर सोमवार को सभी पक्षों की बहस खत्म होने के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है।
आरोप : समिति की रिपोर्ट भ्रामक
नागपुर खंडपीठ में सामाजिक कार्यकर्ता रमेश वानखेड़े ने यह जनहित याचिका दायर की है। याचिका में दावा किया गया है कि इटारसी-जरीपटका रेलवे फ्लाई ओवर के संदर्भ में पुराने नक्शे में किए गए बदलाव के कारण नजूल ले-आउट कॉलोनी के नागरिकों का यातायात मार्ग ही बंद हो गया है। कोर्ट ने दोनों परियोजनाओं के तकनीकी निरीक्षण के लिए विशेष समिति का गठन किया था। कोर्ट के आदेश के अनुसार समिति ने दोनों परियोजनाओं का निरीक्षण करते हुए रिपोर्ट पेश की थी, लेकिन याचिकाकर्ता ने समिति की रिपोर्ट भ्रामक, गुमराह करने वाली और अस्पष्ट होने का आरोप लगाया था। सोमवार को न्या. अतुल चांदूरकर और न्या. अभय मंत्री के समक्ष हुई सुनवाई में सभी ने अपना पक्ष रखा। याचिकाकर्ता की ओर से एड. शशिभूषण वाहाणे, केंद्र सरकार की आेर से असिस्टंेट सॉलिसिटर जनरल एड. नंदेश देशपांडे और राज्य सरकार की ओर से एड. डी. पी. ठाकरे ने पैरवी की।