मेलघाट क्षेत्र: नागपुर मेडिकल में रेफर होकर आ रहे मरीज, पिछड़ापन से पीड़ितों को नहीं मिलता लाभ
- इलाज करने की जगह मरीजों को मेडिकल में भेजा जाता है
- पिछड़ापन होने से पीड़ितों को नहीं मिल पाता योजनाओं का लाभ
- मेलघाट को कुपोषण ग्रस्त क्षेत्र माना जाता
डिजिटल डेस्क, नागपुर. विदर्भ के मेलघाट को कुपोषण ग्रस्त क्षेत्र माना जाता है। यहां आज भी माताएं कुपोषित व नवजात कुपोषण के साथ ही जन्म लेते हैं। मेलघाट क्षेत्र के धारणी, चिखलदरा, अचलपुर तहसील समेत करीब 300 से अधिक गांव कुपोषण का शिकार हैं। सरकार योजनाएं चला रही है, लेकिन अशिक्षित व पिछड़ापन इतना है कि योजनाओं का लाभ पीड़ितों तक नहीं पहुंच पाता है। जब भी इन क्षेत्रों में कोई बीमार होता है, तो पहले उसे प्राथमिक उपचार केंद्र ले जाया जाता है। समस्या गंभीर हो ताे आसपास के बड़े सरकारी अस्पताल में रेफर किया जाता है। वहां भी उपचार नहीं मिले तो समाजसेवियों व सरकारी अस्पतालों के समन्वयकों के माध्यम से नागपुर के शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल (मेडिकल) में रेफर किया जाता है। सालाना मेलघाट क्षेत्र से आनेवाले 300 से अधिक मरीजों का उपचार मेडिकल में किया जाता है।
स्वास्थ्य यंत्रणा की कमी
सूत्रों ने बताया कि मेलघाट क्षेत्र में कुपोषण के चलते माता मृत्यु व बाल मृत्यु का प्रमाण अधिक है। सरकारी स्तर पर जो योजनाएं हैं, वह नाकाफी बताई जा रही हैं। कुपोषित क्षेत्रों में ही अलग से अत्याधुनिक सुविधाओं से परिपूर्ण अस्पताल व सुपर स्पेशलिटी अस्पतालों की आवश्यकता है। स्वास्थ्य यंत्रणा की कमी के चलते कुपोषित क्षेत्रों के गरीब व आदिवासियों को भागदौड़ करनी पड़ती है। इसी चक्कर में उनके परिजनों व रिश्तेदारों को जान गंवानी पड़ती है।
70 फीसदी गर्भवती महिलाएं
राज्य में 2022 में कुपोषण से 411 मौत हुई थी। इसमें गर्भवती माताएं, स्तनपान करानेवाली माताओं बच्चों का प्रमाण अधिक था। 86 मामले तो ऐसे थे, जो स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध नहीं होने से मौत होने का खुलासा हुआ था। मेडिकल में आनेवाले मरीज केवल कुपोषण का ही नहीं बन्कि अन्य दूसरी बीमारियों के शिकार भी होते हैं। हर साल आनेवाले 300 मरीजों में 70 फीसदी गर्भवती महिलाएं होती हैं। इनमें से 5 फीसदी की मृत्यु हो जाती है। वहीं 3 फीसदी बच्चे कुपोषण के साथ ही जन्म लेते हैं।
ऐसे बन रहा वरदान
कुपोषित क्षेत्र से नागपुर में मरीज रेफर किये जाते हैं, तो उनके सामने कई समस्याएं खड़ी हो जाती हैं। सबसे पहले आने-जाने का खर्च, रहने व भोजन का खर्च आदि समस्याओं के चलते उपचार के लिए आने में ना-नुकुर करते हैं। ऐसे में समाजसेवियों व समन्वयकों के माध्यम से उन्हें समझाइश दी जाती है। मेलघाट क्षेत्र के मरीज आने पर उनके लिए स्थानीय स्तर पर समाजसेवी संस्थाओं व दानवीरों की मदद से उपचार व अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। इसके लिए मेडिकल के कुछ अधिकारी स्वयं सहयोग करते हैं। इस तरह मेलघाट के लिए मेडिकल एक वरदान बना है।
सबको उपचार मिले यही हमारा ध्येय
डॉ. राज गजभिये, अधिष्ठाता, मेडिकल के मुताबिक सभी तरह से उपचार सुविधा उपलब्ध होने से यहां अलग-अलग राज्य से मरीज आते हैं। मेलघाट क्षेत्र से आनेवाले मरीज आर्थिक रूप से कमजोर, अशिक्षित होते हैं। इस कारण उनमें हिचकिचाहट होती है। मेडिकल में उनका उपचार किया जाता है। इतना ही नहीं सहयोग के भाव से उपचार के साथ ही रहने व भोजन के लिए मदद की जाती है। मेडिकल के इस कार्य में सभी योगदान देते हैं। यह क्रम निरंतर जारी है। मरीज कहीं का भी हो, मेडिकल में आनेवाले मरीजों को बिना उपचार किए लौटाया नहीं जाता।