क्लीन एनर्जी: पद्मश्री यादव ने कहा - हरित ऊर्जा के लिए हाइड्रोजन है सर्वोत्तम विकल्प
- ग्रीन हाइड्रोजन, क्लीन एनर्जी पर दो दिवसीय परिषद
- 70 शोध पेपर प्रस्तुत किए गए
डिजिटल डेस्क, नागपुर. दुनिया का तापमान 2027 तक 1.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है, ऐसा अनुमान खगाेल, पर्यावरण व मौसम विशेषज्ञाें ने व्यक्त किया है। दुनिया में हर साल 34.4 अरब टन कार्बन उत्सर्जन होता है। इसमें अकेले भारत का हिस्सा 2.62 अरब टन है। पृथ्वी के अस्तित्व के लिए यह खतरे की घंटी है, इसलिए हरित ऊर्जा को पर्याय के रूप में देखा जा सकता है। हरित ऊर्जा के लिए हाइड्रोजन सर्वोत्तम विकल्प हो सकता है। ऐसा रसायनशास्त्र के पद्मश्री गणपति यादव ने कहा। शनिवार को इंस्टिट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स इंडिया व आईईईई नागपुर उपविभाग के संयुक्त तत्वाधान में ‘ग्रीन हाइड्रोजन, क्लीन एनर्जी’ विषय पर दो दिवसीय परिषद का आयोजन किया गया। वनामति में परिषद का उद्घाटन एलआईटी प्रशासकीय मंडल के अध्यक्ष पद्मश्री यादव ने किया। इस अवसर पर डॉ. वी. के. खरे, अखिलेश रॉय, महेश शुक्ला, एस. एफ. लांजेवार प्रमुखता से उपस्थित थे।
भविष्य के लिए घातक
पद्मश्री यादव ने कहा कि भविष्य में पर्यावरण सुरक्षित रखना हो, तो हमें 840 मिलियन मीट्रिक टन हाइड्रोजन की आवश्यकता होगी। चीन, अमेरिका, यूरोपियन संघ के बाद भारत कार्बन उत्सर्जन करने वाला चौथा देश है। वाहनों से निकलने वाले कार्बन से अधिक निर्माण क्षेत्र में उत्सर्जित होने वाले कार्बन का प्रमाण अधिक है। निर्माण उद्योग से उत्सर्जित होने वाले कार्बन का प्रमाण 33 फीसदी है। भविष्य के लिए यह घातक है। दुनिया के तापमान में लगातार बढ़ोतरी होने से पर्यावरण का संतुलन बिगड़ रहा है, इसलिए कार्बन उत्सर्जन करने वाले इंधनों के बजाय सौर, पवन व हाइड्रोजन ऊर्जा का विकल्प अधिक बेहतर होगा। यह मानव जाति के साथ ही समस्त पृथ्वी की आवश्यकता है।
70 शोध पेपर प्रस्तुत किए गए
वैकल्पिक ऊर्जा व भविष्य के ईंधन पर प्रकाश डालते हुए डॉ. खरे ने बताया कि इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग करने का अर्थ यह नहीं होता कि हम पर्यावरण प्रेमी हो चुके हैं। इन वाहनों को चार्ज करने के लिए जो बिजली लगती है, उसका उत्पादन करने के लिए कोयला जलाया जाता है। इससे कार्बन उत्सर्जन होता है, इसलिए पवन, सौर और हाइड्रोजन ही भविष्य के ईंधन का विकल्प हैं। परिषद के समन्वयक ने प्रास्ताविक रखा। सतीश रायपुरे ने अतिथियों का स्वागत किया। दो दिवसीय परिषद में देश-विदेश से 350 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया और 70 से अधिक शोध पेपर्स प्रस्तुत किए गए।
ग्लोबल वार्मिंग बड़ी समस्या
रविवार को परिषद का समापन हुआ। इस अवसर पर सीएसआईआर-नीरी के निदेशक डॉ. अतुल वैद्य ने कहा कि वर्तमान में दुनिया को ग्लोबल वार्मिंग की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। इस पर नियंत्रण के लिए निर्णय लेना जरूरी हो चुका है। हाइड्रोजन जैसे हरित ऊर्जा के पर्याय का महत्व समझना होगा। इसके स्रोत, उत्पादन व इसके लिए ऊर्जा प्रकारों की तलाश आवश्यक है। उन्होंने हाइड्रोजन तैयार करने के लिए सौर ऊर्जा इलेक्ट्रोलिसिस के उपयोग को स्वच्छ व हरित मानने का अर्थ समझाया। समापन कार्यक्रम का संचालन डॉ. सुषमा कलंबे ने किया। इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट नागपुर के संचालक डॉ. भीमराया मेत्री ने बताया कि अगले साल आईआईएम नागपुर कैंपस सौर ऊर्जा आधारित होगा। उन्होंने ग्रीन हाइड्रोजन को ऊर्जा क्षेत्र के लिए गेम चेंजर बताते हुए कहा कि अनेक संस्थान हाइड्रोजन का उपयोग व संग्रहण के लिए शोध कार्य कर रहे हैं।