पशोपेश: बांग्लादेश में अराजकता से टेंशन में हैं नागपुर के संतरा उत्पादक, एक्सपोर्ट पर असर

  • केंद्र व राज्य सरकार से निर्यात संबंधी पूर्व नियोजन की मांग
  • विदर्भ के 1.26 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में होता है संतरा उत्पादन
  • रोजाना 60 हजार टन होता रहा है निर्यात

Bhaskar Hindi
Update: 2024-08-09 13:02 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बांग्लादेश में अराजकता को लेकर नागपुर व विदर्भ के संतरा उत्पादकों के बीच चिंता गहराने लगी है। सवाल है कि इस बार संतरे को पर्याप्त भाव मिल पाएगा या नहीं। प्राकृतिक आपदा, फसलों को बीमारी व असमय बारिश से परेशान किसानों को संतरे के भाव की चिंता सताने लगी है। विदर्भ के 1.26 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में संतरे का उत्पादन होता है। काटोल, वरुड, मोर्शी, अकोला व अमरावती के कुछ क्षेत्रों को संतरा उत्पादन के मामले में महाराष्ट्र का कैलिफोर्निया माना जाता है। अकेले नागपुर जिले से रोजाना 60 हजार टन संतरा बांग्लादेश में निर्यात होते रहा है। नवंबर में संतरा व मौसंबी की नई फसल आएगी। बांग्लादेश की स्थिति को देखते हुए चिंता है कि यहां का संतरा निर्यात हो पाएगा या नहीं। ऐसे हुआ तो संतरा मौसंबी को भाव नहीं मिल पाएगा।

निर्यात नीति पर योग्य कदम उठाए

काटोल क्षेत्र के विधायक व पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख ने कहा है कि संतरा उत्पादक किसानों की चिंता को देखते हुए केंद्र व राज्य सरकार ने संतरा व मौसंबी के संबंध निर्यात नीति पर योग्य कदम उठाना चाहिए। विदर्भ का संतरा सबसे अधिक बांग्लादेश में निर्यात होते रहा है। इसके अलावा कुवैत, ओमान, अमेरिका, चीन,हांगकांग व आस्ट्रेलिया में भी संतरा निर्यात किया जाता है। निर्यात के कारण ही विदर्भ में संतरा व मौसंबी को अधिक भाव मिल पाता है। देशमुख के मुताबिक पिछले चार वर्ष से बांग्लादेश ने संतरा व मौसंबी के आयात शुल्क में 88 रुपये से 101 रुपये तक बढोतरीकी है। इससे लाखों टन संतरा व मौसंबी का निर्यात बांग्लादेश में नहीं हो पाया है। लिहाजा संतरा, मौसंबी के भाव कम हुए। बाजार भाव से संतरे का उत्पादन खर्च भी नहीं निकल पाता है।

व्यापारियों ने रोकी खरीदी

व्यापारियों ने भी अग्रिम खरीदी रोक दी है। असल में संतरा उत्पादक किसानों को बारिश के समय फसल नियोजन के लिए रुपयों की आवश्यकता होती है। वे व्यापारियों से खरीदी-बिक्री की अग्रिम राशि ले लेते हैं। कहीं संतरों के बगीचों का सौदा किया जाता है तो कहीं निर्धारित मात्रा में संतरा का अग्रिम लेन-देन होता है। लेकिन बांग्लादेश की स्थिति को देखते हुए व्यापारियों ने लेन देन रोक दिया है। बाजारा में संतरा व मौसंबी का भाव काफी कम होने के आसार है। लिहाजा संतरा मौसंबी के निर्यात के संबंध में केंद्र व राज्य सरकार ने पूर्व नियोजन करना चाहिए। विदर्भ में आर्थिक अनुशेष के जानकार नितीन रोंघे ने कहा है कि संतरा निर्यात को लेकर पहले से ही कई अड़चनें रही है। पूर्व में तत्कालीन केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने संतरा निर्यात के लिए सहायता योजना की घोषणा की थी। अब संतरा उत्पादकों को त्वरित राहत देने की आवश्यकता है।

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