नागपुर: एक-एक उपजिलाधीश संभाल रहे तीन-तीन पद, सिर पर हैं चुनाव ऊपर से अधिकारियों का टोटा
- निवासी उपजिलाधीश का पद भी खाली
- तहसीलदारों की भी कमी
डिजिटल डेस्क, नागपुर. जिला प्रशासन इलेक्शन मोड पर है और जिलाधीश कार्यालय में ही आधा दर्जन उपजिलाधीशों के पद खाली पड़े हुए हैं। अधिकारियों की कमी का असर कार्यालयीन व प्रशासनिक कामकाज पर हो रहा है। जिला प्रशासन में जिलाधीश के बाद सबसे अहम जिम्मेदारी निवासी उपजिलाधीश पर होती है और फिलहाल यह पद भी खाली पड़ा हुआ है।
निवासी उपजिलाधीश का पद भी खाली
पूर्व निवासी उपजिलाधीश सुभाष चौधरी का पिछले महीने तबादला होने के बाद से यह पद खाली पड़ा है। उपजिलाधीश (पुनर्वसन) सचिन गोसावी को यहां का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था, लेकिन उनका तबादला उपविभागीय अधिकारी मौदा के पद पर हुआ। उन्होंने मौदा एसडीआे का चार्ज संभाल लिया है।
उपजिलाधीश (पुनर्वसन) श्रीराम मूंदड़ा को निवासी उपजिलाधीश का अतिरिक्त चार्ज दिया गया है। उनके पास नजूल का भी अतिरिक्त चार्ज है। पिछले 5 माह से वेटिंग पर चल रही उपजिलाधीश दीपमाला चौरे को उपजिलाधीश (प्रोटोकॉल) की जिम्मेदारी दी गई है। ये पद पिछले कई महीने से प्रभारी के भरोसे था। उपजिलाधीश चौरे को पुनर्वसन का भी प्रभार दिया गया है।
तहसीलदारों की भी कमी
जिला प्रशासन में तहसीलदार व नायब तहसीलदारों का भी सूखा चल रहा है। नजूल विभाग में तो तहसीलदार व नायब तहसीलदार ही नहीं हैं। उपजिला निर्वाचन कार्यालय में दो नायब तहसीलदारों की कमी है। राजस्व विभाग में पदस्थ तहसीलदार रोहिणी पाठराबे का तबादला हुआ और उनकी जगह पर अभी तक किसी अधिकारी की नियुक्ति नहीं हो सकी है।
संजय गांधी निराधार योजना कार्यालय में शहर व ग्रामीण, ऐसे दो तहसीलदार होते हैं, लेकिन यहां भी तहसीलदार का सूखा पड़ा हुआ है। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस व केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी के गृह जिले में एेन चुनाव के समय अधिकारियों का सूखा गंभीर बात है।