उपलब्धि: एशियाड में तिरंगा लहराना, मेरे लिए सबसे रोमांचक पल : ओजस
- विमानतल पर जोरदार स्वागत, निकली भव्य स्वागत रैली
- दैनिक भास्कर से बातचीत में कहा-लय को आगे भी जारी रखूंगा
डिजिटल डेस्क, नागपुर। एशियाई खेलों की तीरंदाजी में तीन स्वर्ण पदक हासिल कर इतिहास रचने वाले ओजस देवतले ने कहा कि एशियाड में भारत का तिरंगा लहराते देखना, यह मेरे लिए सबसे बड़ा रोमांचक पल था। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मैंने कड़ी मेहनत की और एकाग्रता के साथ लक्ष्य साधे। दैनिक भास्कर कार्यालय में संपादकीय सहयोगियों के साथ चर्चा में ओजस ने कहा कि मैं अपनी लय को आगे भी जारी रखने की पूरी कोशिश करता रहूंगा।
प्रेरणा : बचपन में विभिन्न प्रकार के खेलों से लगाव था, लेकिन एक बार वीटीसी कॉन्वेंट में ग्रीष्मकालीन तीरंदाजी शिविर में भाग लिया था। उद्देश्य केवल ग्रीष्मकालीन छुट्टियों में कुछ अलग करने का था, लेकिन इसमें काफी मजा आया। इसके बाद वर्ष 2019 में नेशनल तीरंदाजी में हिस्सा लिया, जिसमें कांस्य पदक मिला। यह कांस्य पदक मेरे लिए प्रेरणादायी साबित हुआ।
दक्षिण कोरिया की चुनौती : तीरंदाजी में दक्षिण कोरिया को सबसे बड़ा खिलाड़ी माना जाता है। इस खेल में उनके खिलाड़ियों का ही दबदबा रहता है, लेकिन कुछ वर्षों में हमारे तीरंदाजों ने सराहनीय प्रदर्शन कर दक्षिण कोरिया को एकछत्र राज को तोड़ दिया है। अब उनसे मुकाबला करने के लिए कोई डर नहीं लगता है और न ही हम पर किसी प्रकार का दबाव होता है। मैंने एशियाड में यह नहीं देखा की मेरा प्रतिद्वंद्वी कौन है या किसी देश के हैं। मैंने केवल टारगेट को भेदने पर फोकस किया।
घर में प्यार : एशियाड के कम्पाउंड इवेंट में तीन स्वर्ण पदक जीतने का जश्न तो भारत में बड़े पैमाने पर मनाया गया, लेकिन होमटाउन नागपुर में जिस प्रकार का प्यार मिल रहा है, वह मेरे लिए सम्मान की बात है। मुझे खुशी है कि इस प्रकार का प्यार और आशीर्वाद मिल रहा है।
युवाओं के लिए संदेश : अपने गुरु का आदर करें। उनका मार्गदर्शन कभी गलत नहीं होगा। गुरु की बताई राह पर चलें, एक दिन सफलता जरूर मिलेगी।
श्रेय : मेरी कामयाबी का श्रेय पूरे देश को जाता है। सरकार ने हर स्तर पर मदद की। नागपुर जिला आर्चरी एसोसिएशन, परिवारजनों की मदद के बिना इस मुकाम पर पहुंचना संभव नहीं है।
प्रधानमंत्री मोदी ने की तारीफ : चीन से लौटने के बाद सभी पदक विजेताओं से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को मुलाकात की। उन्होंने कहा कि आप सबसे देश के लिए शानदार प्रदर्शन किया और दुनिया में भारत के नाम को रोशन करने का काम किया। उनका संबोधन छाती को चौड़ा कर देने वाला रहा। उन्होंने खिलाड़ियों को हरसंभव मदद देने का आश्वासन भी दिया।
ओलिंपिक की तैयारी : विश्व चैंपियनशिप और एशियाड में स्वर्ण पदक जीतने के बाद अगला लक्ष्य सबसे बड़ा इवेंट ओलिंपिक खेल है। पेरिस 2024 ओलिंपिक में कम्पाउंड इवेंट को शामिल नहीं किया गया है। यह इवेंट अब 2028 ओलिंपिक में होगा, जो कि इंडोर इवेंट होगा। चूंकि 2028 में कम्पाउंड इवेंट इंडोर होंगे, इसलिए सरकार की ओर से यहां उस प्रकार की विश्व स्तरीय सुविधा मुहैया करवानी चाहिए।
दबाव में कोच की मदद : एशियाड जैसे बड़े आयोजन में दबाव रहना निश्चित है, लेकिन हमारे पीछे कोच हमेशा ही खड़े रहे। मेरे कोच प्रवीण सावंत ने मेरी हर संभव मदद की। दबाव से किस प्रकार निबटना है और किसी प्रकार टारगेट को हिट करना है, यह उन्होंने बताया है।
गाजे-बाजे के साथ स्वागत : इसके पहले गृहनगर वापसी पर गाजे-बाजे के साथ ओजस का भव्य स्वागत किया गया। विमानतल पर मीडिया से बात करते हुए ओजस ने कहा कि लक्ष्य के प्रति सच्ची दृढ़निष्ठा ही सफलता की पहली सीढ़ी है। विमान से उतरने के बाद ओजस सबसे पहले अपने माता-पिता और परिजनों से मिले। उनके स्वागत के लिए विधायक मोहन मते, गिरीश पांडव सहित स्कूली बच्चे, युवा तीरंदाज और हजारों की संख्या में लोग मौजूद थे। विमानतल से ओजस सीधे वर्धा रोड स्थित साई मंदिर गए और वहां से सक्करदरा चौक पहुंचे, जहां से उनके घर गणेश नगर तक स्वागत रैली निकाली गई। इस दौरान ओजस पर फूलों की बारिश होती रही। उत्साही युवाओं ने जमकर भांगड़ा किया।
मां के प्यार ने संभाला : पढ़ाई में औसत होने के कारण खेल में रुचि रखने वाले ओजस को शुरुआती नाकामी ने लगभग तोड़ दिया था, लेकिन उन्हें मां अर्चना देवतले आैर पिता प्रवीण देवतले के प्यार तथा परिजनों के सहयोग ने संभाल लिया। उन्होंने तीरंदाजी में करियर बनाने के लिए अपने बड़े पिताजी एड. विनय देवतले से मदद मांगी और उन्होंने 90 हजार रुपए खर्च कर एक धनुष खरीद कर दिया। वहां से ओजस के सपने ने उड़ान भरना आरंभ किया। हालांकि समस्या यहां समाप्त नहीं हुई। उन्हें कदम-कदम पर संघर्ष करना पड़ा। ओजस ने एक रात में ही सातारा जाने का फैसला लिया, जिसमें उनके परिजनों का पूरा सहयोग मिला और इस निर्णय ने उनकी जिंदगी बदल दी। हालांकि वीजा के लिए कॉलेज से एनओसी लाने के लिए भी मुश्किलों का सामना करना पड़ा, लेकिन लगभग छह वर्ष की कड़ी मेहनत के बाद ओजस ने स्वर्णिम कामयाबी हासिल की।