स्मृति शेष: विद्या का सागर नागपुर-रामटेक को कर रहा समृद्ध, बना जैन मुनियों की दीक्षा का रिकार्ड
- न अक्षर से मुनियों का नामकरण
- शिक्षा के साथ संस्कार का पाठ
- चौबीसी मंदिर में 24 तीर्थंकरों की मूर्तियां स्थापित
डिजिटल डेस्क, नागपुर. शनिवार देर रात महाप्रयाण करने वाले प्रसिद्ध जैन संत आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज का नागपुर और विशेषकर रामटेक स्थित श्री भगवान शांतिनाथ अतिशय क्षेत्र से विशेष लगाव रहा है। इतवारी में लाल पत्थरों से निर्माणाधीन परवारपुरा दिगंबर जैन मंदिर का भूमिपूजन आचार्यश्री के हस्ते हुआ था, लेकिन मंदिर के पंचकल्याणक का सपना अधूरा रह गया। आचार्यश्री का रामटेक में एक-दो बार नहीं, बल्कि पांच बार चातुर्मास हुआ। 24 जैन मुनियों की दीक्षा का रिकार्ड भी रामटेक में बना था। इतवारी के परवारपुरा दिगंबर जैन मंदिर काफी जीर्ण-शीर्ण होने पर मंदिर के पुनर्निर्माण का निर्णय श्री दिगंबर जैन परवार मंदिर ट्रस्ट ने लिया था। नए मंदिर के निर्माण के लिए भूमिपूजन हेतु आचार्यश्री विद्यासागर महाराज को आमंत्रित किया गया। आचार्यश्री ने ट्रस्ट के अनुरोध को स्वीकार किया और 40 जैन साधुओं के साथ नागपुर पधारे। विशेष बात यह है कि आचार्यश्री ने परवारपुरा दिगंबर जैन मंदिर का न केवल भूमिपूजन किया, बल्कि दो माह तक अपने साधु-साध्वियों के संघ के साथ नागपुर में विराजित रहे और अनेक स्थानों पर प्रवचन कर धर्म की गंगा बहाई। आचार्यश्री के प्रवचनों का आयोजन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुख्यालय के अलावा चिटणीस पार्क, गांधीबाग उद्यान, इतवारी गांधी पुतला परिसर में किया गया जिनमें अपार भीड़ उमड़ी। श्री दिगंबर जैन परवार मंदिर ट्रस्ट के पूर्व अध्यक्ष सनत जैन के अनुसार परवारपुरा दिगंबर जैन मंदिर का निर्माणकार्य अंतिम चरण में है। सन 2025 तक निर्माणकार्य पूर्ण होने की संभावना है। ट्रस्ट और समाज के लोगों की इच्छा थी कि मंदिर का भूमिपूजन करने वाले आचार्यश्री विद्यासागर महाराज के हाथों ही मंदिर का पंचकल्याणक भी हो, लेकिन समाधि के चलते यह आस अधूरी ही रह गई।
रामटेक में पांच बार चातुर्मास
श्री दिगंबर जैन परवार मंदिर ट्रस्ट द्वारा रामटेक में संचालित करीब 400 साल प्राचीन श्री शांतिनाथ मंदिर में आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज पांच बार चातुर्मास के लिए पधारे। आचार्य श्री विद्यासागरजी 1980 में पहली बार श्री दिगंबर जैन शांतिनाथ अतिशय क्षेत्र रामटेक पधारे। इसके बाद वर्ष 1990,1993,1994,2004,2008,2012,2013 और 2017 में आचार्य रामटेक आए। आचार्यश्री का महाराष्ट्र राज्य में पहला चातुर्मास सन 1993 को रामटेक स्थित श्री शांतिनाथ मंदिर हुआ था। भगवान शांतिनाथ के प्रति उनके लगाव का ही प्रमाण है कि लगातार दूसरे साल सन 1994 में भी उन्होंने रामटेक को ही चातुर्मास के लिए चुना। इसके बाद सन 2008, 2013 और 2017 मंे आचार्यश्री का चातुर्मास हुआ।
चौबीसी मंदिर में 24 तीर्थंकरों की मूर्तियां स्थापित
आचार्यश्री की प्रेरणा से भव्य चौबीसी मंदिर का निर्माण श्री दिगंबर जैन परवार मंदिर ट्रस्ट द्वारा किया गया। चौबीसी मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि 24 तीर्थंकरों की खड़े अवस्था में धातु की मूर्तियां स्थापित की गई है। केवल पत्थरों से निर्मित मंदिर के निर्माण में सीमेंट और लोहा का उपयोग नहीं किया गया। 24 िवशेष बात यह है कि सन 2012 में चौबीसी मंदिर का पंचकल्याणक आचार्यश्री के हाथों ही हुआ।
मुनियों का नामकरण ‘न’ अक्षर से
इसके अगले साल 2013 में आचार्यश्री चातुर्मास के लिए पुन: रामटेक पधारे। चातुर्मास के दौरान 4 अगस्त 2013 को भव्य दीक्षा समारोह का आयोजन किया गया जिसमें आचार्यश्री ने एकसाथ 24 जैन मुनियों को दीक्षा दी जो एक रिकार्ड है। खास बात यह है कि सभी 24 जैन मुनियों का नामकरण ‘न’ अक्षर पर ही किया गया जैसे निश्छलसागर, निस्वार्थसागर आदि।
शिक्षा के साथ संस्कार का पाठ
आचार्यश्री ने रामटेक शांतिनाथ मंदिर परिसर में बालिकाओं को शिक्षा के साथ संस्कार का पाठ पढ़ाने के लिए सीबीएसई पैटन पर प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ कन्या आवासीय विद्यालय की स्थापना की। इसके अलावा गांधीजी के स्वदेशी का मंत्र देते हुए ‘हथकरघा’ की शुरुआत की जहां हथकरघे पर कपड़े बुने जाते हैं। इससे युवाओं को रोजगार मिला है।
राष्ट्रपति पहुंचे दर्शन के लिए
2017 के चार्तुमास में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, राज्यपाल सी.विद्यासागर,रा.स्व.संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत,मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस,केंद्रीयमंत्री नितीन गडकरी,उमाभारती आदि ने आचार्य के दर्शन किए।