अदालत: नायलॉन मांजा प्रकरण, हाईकोर्ट में शपथ-पत्र, 30 पन्नों की नीति भी जोड़ी
- नागपुर खंडपीठ में नायलॉन मांजा प्रकरण
- प्रकरण में सुमोटो जनहित याचिका दायर
डिजिटल डेस्क, नागपुर. बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में नायलॉन मांजा प्रकरण में सुमोटो जनहित याचिका दायर की गई है। इस मामले में मेटा ने शपथ-पत्र दायर करते हुए कोर्ट को बताया कि फेसबुक या इंस्टाग्राम तो बस एक प्लेटफॉर्म है। यहां हर दिन बहुत से लोग सामग्री अपलोड कर रहे हैं।
फेसबुक इस प्लेटफ़ॉर्म पर सामग्री का निर्माता या प्रकाशक नहीं है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट के फैसला दाखिला देते हुए बताया कि अगर कोई तीसरा व्यक्ति इन दोनों सोशल मीडिया पर कुछ भी पोस्ट करता है, तो मेटा उन सभी की निगरानी करने के लिए बाध्य नहीं है।
6 सप्ताह में जवाब देने को कहा
राज्य में पाबंदी होने के बावजूद फेसबुक सहित विभिन्न वेबसाइटों के माध्यम से प्रतिबंधित नायलॉन मांजा बेचे जाने की बात सामने आने के बाद हाई कोर्ट ने साइबर अपराध विभाग को कार्रवाई करने का आदेश दिया था। तदनुसार, साइबर अपराध विभाग ने फेसबुक सहित कंपनियों को बिक्री रोकने का निर्देश दिया था।
मांजा बेचने वाली कंपनियों पर अन्य वेबसाइट कंपनियों ने प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि, फेसबुक से अपेक्षित सहयोग नहीं मिल रहा था। पिछली सुनवाई में कोर्ट के आदेश के बावजूद कंपनी कोर्ट से अनुपस्थित थी। इसलिए, अदालत ने विक्रेताओं को अनुमति देने वाली फेसबुक की मेटा कंपनी के खिलाफ पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत कार्रवाई शुरू करने का मौखिक आदेश दिया था।
इसी के चलते मेटा ने आखिरकार हाई कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया। साथ ही इस जवाब में मेटा कंपनी 30 पन्नों की नीति भी जोड़ी है। हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए 6 सप्ताह का वक्त दिया है। मेटा की ओर एड. चारुहास धर्माधिकारी पैरवी कर रहे हैं।