घपला: अब एनडीसीसी बैंक घोटाले पर 18 दिसंबर को फैसला
150 करोड़ रुपए का घाेटाला
डिजिटल डेस्क, नागपुर। नागपुर जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक में हुए 150 करोड़ रुपए के घाेटाले के मामले में अब 18 दिसंबर को फैसला सुनाया जाएगा। साल 2002 में यह घोटाला सामने आया था। कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री सुनील केदार तब इस बैंक के अध्यक्ष थे। वह इस मामले में मुख्य आरोपी भी हैं। मंगलवार को अतिरिक्त मुख्य न्याय दंडाधिकारी जे. वी. पेखले-पूरकर ने बैंक घोटाले के फैसले की सुनवाई आगे बढ़ाई। सुनवाई के दौरान मुख्य आरोपी सुनील केदार और अन्य आरोपी मौजूद थे।
चार राज्यों में कुल 19 मामले : वर्ष 2002 में सामने आए नागपुर जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक के करोड़ों रुपए के इस घोटाले में विशेष लेखा परीक्षक विश्वनाथ असवर ने बैंक का ऑडिट करके 29 अप्रैल 2002 में गणेशपेठ पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बाद बैंक के पूर्व अध्यक्ष सुनील केदार और अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। इस मामले में मुख्य न्याय दंडाधिकारी की अदालत में मुकदमा दायर किया गया। बैंक के पैसे से कुछ कंपनियों से सरकारी प्रतिभूतियां खरीदी गईं। देश भर में इस कंपनी से जुड़े घोटाले हुए। चार राज्यों में कुल 19 मामले दर्ज किए गए। इन सभी में प्रतिभूति दलाली का काम करने वाले केतन सेठ को भी आरोपी बनाया गया है। केतन सेठ ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इन सभी मामलों की सुनवाई एक ही जगह करने की मांग की थी। 5 अक्टूबर 2021 को कोर्ट ने इन मामलों की सुनवाई फिलहाल रोकने का आदेश दिया था।
न्यायिक प्रक्रिया ऐसे चली : बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश में बदलाव किया। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि मामले में बाकी बहस पूरी की जाए, लेकिन कोर्ट की अनुमति के बिना फैसला नहीं सुनाया जाए। सभी पक्षों द्वारा बहस पूरी की गई। आख़िरकार सुप्रीम कोर्ट ने मामले के फैसले की सुनवाई की इजाज़त दे दी। इसके चलते अतिरिक्त मुख्य न्याय दंडाधिकारी द्वारा 28 नवंबर को मामले पर फैसला सुनाया जाने वाला था। मंगलवार को कोर्ट ने सुबह 11.30 सभी आरोपी आने की जानकारी ली। तब एक आरोपी आया नहीं था। इसलिए काेर्ट ने फैसले के लिए दोपहर 1 बजे का समय दिया। लेकिन फिर कोर्ट ने फैसले की सुनवाई आगे बढ़ाने की जानकारी दी और शाम होने तक फैसले की तारीख 18 दिसंबर बताई। सुनील केदार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सुबोध धर्माधिकारी, एड. देवेन चौहान और चौधरी की ओर से एड. अशोक भांगडे ने पैरवी की। राज्य सरकार की ओर से नाशिक के जिला सरकारी वकील अजय मिसार ने पक्ष रखा।
11 में से 9 आरोपियाें पर चला मुकदमा : कुल 11 आरोपियाें में से 9 पर 406 (अापराधिक विश्वासघात), 409 (सरकारी कर्मचारियों द्वारा विश्वासघात), 468 (जाली दस्तावेज बनाना), 120-ब साजिश करना आदि के तहत आरोप-पत्र तय कर मुकदमा चलाया गया।
आरोपियाें के नाम आरोपियों में बैंक के तत्कालीन अध्यक्ष सुनील केदार, बैंक के तत्कालीन महाप्रबंधक अशोक नामदेव चौधरी, तत्कालीन मुख्य लेखाकार सुरेश दामोदर पेशकार (नागपुर), रोखे दलाल केतन कांतिलाल सेठ, सुबोध चंदा दयाल भंडारी, नंदकिशोर शंकरलाल त्रिवेदी (सभी मुंबई), अमित सीतापति वर्मा (अहमदाबाद), महेंद्र राधेश्याम अग्रवाल और श्रीप्रकाश शांतिलाल पोद्दार (कोलकाता) शामिल हैं। अन्य दो आरोपियों में से रोखे दलाल संजय हरिराम अग्रवाल के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट ने केस पर रोक लगा दी है, जबकि कानन वसंत मेवावाला फरार हैं।