लापरवाही: सरकारी अस्पतालों में गोलमाल, मरीज परेशान
- विभिन्न श्रेणी के हजारों पद खाली
- भगवान भरोसे हैं स्वास्थ्य सेवाएं
अभय यादव,नागपुर । कुछ जिम्मेदार अधिकारियों की कथित लापरवाही के चलते विदर्भ के अनेक जिलों के ग्रामीण अस्पतालों में अब गरीब मरीज जाने से कतराने लगे हैं। मरीजों की कमी के चलते कई अस्पतालों को तो बंद करने की नौबत आ गई है। कारण, मैन पावर नहीं। नागपुर संभाग के 6 जिले में गत 10 माह से ग्रामीण अस्पतालों में करीब 1334 उक्त पद रिक्त पड़े हैं। इन पदों को भरने के लिए न तो स्वास्थ्य उपसंचालक नागपुर कार्यालय और न ही अधीक्षक स्तर के अधिकारियों ने कोई प्रयास किया है, यही कारण है कि ग्रामीण क्षेत्र में अस्पताल की सेवाओं को खुद ‘आॅक्सीजन’ की जरूरत महसूस होने लगी है।
मामला गंभीर है, छानबीन की मांग : अकेले डीडी ऑफिस में 668, नागपुर के सीएस नागपुर में रेगुलर 78 पद, डागा अस्पताल में 28 , वर्धा में 72, भंडारा में 86, चंद्रपुर में 120, गडचिरोली में 81, गोंदिया में 90 रेगुलर पद रिक्त पड़े हैं। चर्चा है कि रिक्त पद होने के पीछे कारण यह है कि कुछ अधिकारी लेन-देन कर कर्मचारियों की प्रतिनियुक्ति कर देते हैं, जो कि ड्यूटी पर तैनात रहते हैं। प्रतिनियुक्ति पर कर्मचारी के चले जाने पर उसकी जगह रिक्त पड़ी रहती है। उस जगह को नहीं भर सकते हैं, इस कारण वर्षों से पद रिक्त पड़ी रहती है। इसकी छानबीन की मांग की जा रही है।
मरीजों की स्थिति गंभीर : नागपुर संभाग में स्वास्थ्य संचालक नागपुर के अंतर्गत आने वाले सीएस नागपुर, वर्धा, भंडारा, चंद्रपुर, गड़चिरोली और गोंदिया में संचालित हो रहे ग्रामीण अस्पतालों में रिक्त पड़े पदों से मरीजों की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। जानकारी के अनुसार, नागुपर के डागा अस्पताल, प्रादेशिक मनोचिकित्सालय व अकेले डीडी ऑफिस (डेप्युटी डायरेक्टर कार्यालय) में 688 पद रिक्त पड़े हैं।
दिया तले अंधेरा :सूत्रों के अनुसार, डीडी ऑफिस नागपुर के अधीनस्थ कार्यालय के अंर्तगत लेप्रेसी, फाइलेरिया, मलेरिया, पोषाहार व परिवहन विभाग में तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के तकरीबन 668 पद रिक्त पड़े हैं। जब डीडी ऑफिस नागपुर के अधीनस्थ कार्यालय में ही दिया तले अंधेरे वाली स्थिति है, तो बाकी जगह क्या परिस्थिति होगी, इसका अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है। इतना ही नहीं 1334 रेगुलर पद हैं, जो रिक्त पड़े हैं। करीब 300 पद ठेकेदारी के अंतर्गत संचालित हो रहे थे, यह भी रिक्त पड़े हैं।
आखिर जिम्मेदारी किसकी : सूत्रों के अनुसार, नागपुर संभाग के अंतर्गत आने वाले 6 जिलों की ग्रामीण अस्पतालों में रिक्त पदों को भरने की जिम्मेदारी स्वास्थ्य उपसंचालक नागपुर, सीएस (सिविल सर्जन), मेडिकल सुपरिंटेंडेंट की होती है, मगर इन अधिकारियों को जैसे फुर्सत ही नहीं। नतीजा, स्वास्थ्य उपसंचालक के अंतर्गत आने वाले विदर्भ के 6 जिलों में ग्रामीण क्षेत्र के अस्पतालों में मरीज और उनके परिजनों को खुद ही सारे काम करने पड़ते हैं। डागा अस्पताल और प्रादेशिक मनोचिकित्सालय में रिक्त पद को भरने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी वहां के सुपरिंटेंडेंट यानी की अधीक्षक की होती है। इन अस्पतालों में अटेंडेंट के खाली पडे पद को भी अधीक्षक को भरना चाहिए, मगर ऐसा नहीं हो पा रहा है।
दिसंबर तक रिक्त पदों पर भर्ती अपेक्षित : यह बात सही है कि विदर्भ के 6 जिलों में चतुर्थ श्रेणी के कई पद रिक्त हैं। यही स्थिति तृतीय श्रेणी के रिक्त पदों की है। इन रिक्त पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया का विज्ञापन निकल चुका है। एक निजी कंपनी द्वारा उम्मीदवारों की परीक्षा ली जाएगी। उसके बाद जो परीक्षा में पास होंगे। उनकी सूची डीडी ऑफिस में आने के बाद रिक्त पदों पर नियुक्ति की जाएगी। - प्रमोद गवई, सहायक उपसंचालक (वैद्यकीय) नागपुर.