जंगल सफारी: पर्यटकों के लिए इस सप्ताह सिल्लारी के जंगल में दौड़ेगी ई-जिप्सी
- ई-जिप्सियों के भरोसे ही जंगल सफारी की तैयारी
- पायलेट प्रोजेक्ट पर पांच जिप्सी चलाई जाएंगी
- ईंधन की होगी बचत, पोल्यूशन भी होगा कम
डिजिटल डेस्क, नागपुर। अब पेंच के जंगल में ई-जिप्सी चलनेवाली है। इसी सप्ताह एक जिप्सी को वन विभाग ने सिल्लारी में चलाने का निर्णय लिया है। जिसके बाद पायलेट प्रोजेक्ट पर पांच जिप्सियों को सफारी के लिए चलाया जानेवाला है। सब कुछ ठीक रहा तो धीरे-धीरे डीजलवाली जिप्सियों को बाहर कर वनविभाग ई-जिप्सियों के भरोसे ही जंगल सफारी करनेवाली है।
पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र : महाराष्ट्र का पेंच व्याघ्र प्रकल्प न केवल यहां के बल्कि बाहरी राज्य के पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केन्द्र है। 741 वर्ग किमी में फैले इस क्षेत्र में दो भाग आते हैं, जिसमें ईस्ट पेंच व वेस्ट पेंच शामिल है। ईस्ट पेंच की बात करें तो यहां सिल्लारी, खर्सापार, पवनी व चोरबाहुली कुल चार गेट आते हैं। वही रेंज की बात करें तो पिपरिया, चोरबाहुली, देवलापार व पवनी शामिल है। वहीं वेस्ट पेंच में कोलीतमारा, खुबाडा, सालईघाट व सुरेवानी गेट आते हैं। वहीं कोलीतमार, सालईघाट व नागलवाड़ी रेंज शामिल है।
सिल्लारी में चलाकर पहला प्रयोग : पूरे पेंच में बाघों की संख्या की बात करें तो 41 स्थाई बाघ यहां मौजूद हैं। वहीं बाहर से आने वाले बाघों की संख्या हर महीने 20 के करीब रहती हैं। वर्तमान स्थिति में यहां आनेवालों को डीजल से चलनेवाली जिप्सियों पर जंगल की सैर कराई जाती है। लेकिन जल्द ही यहां ई-जिप्सी चलाने का वन विभाग सोच रहा है। ऐसे में इस सप्ताह में एक ई-जिप्सी को लाया जानेवाला है। जिसे सिल्लारी में चलाकर पहला प्रयोग विभाग करनेवाला है। इससे फायदा यह होगा कि, पेंच में जंगल सफारी को लेकर आए दिन पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है। जंगल के भीतर पेट्रोल वाहनों की आवाज व प्रदूषण दोनों ही वन्यजीवों की परेशानी का कारण बन रहा है। ऐसे में वन विभाग इलेक्ट्रिक वाहनों को चलाने से प्रदूषण व शोर दोनों से राहत मिलनेवाली है।
मुख्यमंत्री मेरा स्कूल, सुंदर स्कूल अभियान 15 फरवरी तक : स्कूलों में प्रेरणादायी तथा आनंदी वातावरण का निर्माण तथा शिक्षक, पालक और विद्यार्थियों में स्कूल के प्रति उत्तरदायित्व की भावना विकसित करने मुख्यमंत्री मेरा स्कूल, सुंदर स्कूल अभियान चलाया जा रहा है। 1 जनवरी से 15 फरवरी तक यह अभियान चलाया जा रहा है। स्कूलों का मूल्यांकन करने केंद्र स्तर और तहसील स्तर पर जिम्मेदारियां तय की गई हैं। शिक्षा विभाग के पर्यवेक्षकीय जिम्मेदारों पर स्कूल के मूल्यांकन की जिम्मेदारी दी गई है। केंद्र प्रमुख और मुख्याध्यापकों अपने कार्यक्षेत्र से बाहर के स्कूल का मूल्यांकन करना होगा। दोनों स्तर पर प्राप्त अंकों के आधार पर प्रथम 3 स्कूलों का चयन किया जाएगा।
स्थानीय स्तर मूल्यांकन समिति : स्थानीय स्तर पर मूल्यांकन समिति अध्यक्ष केंद्र प्रमुख तथा दो सदस्य रहेंगे, जिसमें स्थानीय स्वराज संस्था संचालिक स्कूल मुख्याध्यापक और निजी अनुदानित स्कूल के मुख्याध्यापक का समावेश रहेगा।
तहसील स्तर मूल्यांकन समिति : तहसील स्तर पर मूल्यांकन समिति अध्यक्ष गटविकास अधिकारी रहेंगे। वरिष्ठ विस्तार अधिकारी सदस्य सचिव तथा अन्य दो सदस्य रहेंगे, जिसमें संबंधित नगरपालिका मुख्याधिकारी तथा गटशिक्षणाधिकारी का समावेश रहेगा।