नागपुर: स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के निधन पर नहीं पहुंचा कोई बड़ा नेता, पुलिस ने दी सलामी
- तिरंगे में लपेटकर पुलिस जवानों ने दी सलामी
- छोटे नेता ही पहुंचे थे
- बड़े नेता नजर नहीं आए
- स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का निधन
डिजिटल डेस्क, नागपुर। कामठी क्षेत्र के स्वन्त्रता सेनानी, प्राचार्य डॉ रतनचंद् इंदरचंद पहाड़ी का निधन हो गया। देश की आजादी में योगदान देने के लिए उन्हें जाना जाता है। उनके निधन पर उन्हें तिरंगा में लपेटकर पुलिस जवानों ने बंदूकों से सलामी दी। उनके निधन की खबर से पूरे कामठी क्षेत्र में शोक की लहर फैल गई। वे कामठी के पाेरवाल कॉलेज में प्रोफेसर थे। उन्होंने अपनी संपति कामठी के जैन मंदिर को दान में दे दी थी।
उनके निधन पर पूर्व राज्यमंत्री सुलेखा कुंभारे, सुनील केदार सहित छोडकर कोई भी बडा नेता नहीं पहुंचा था। उन्हें पुलिस की उपस्थिति में सलामी देकर अंतिम बिदाई दी गई। उनकी अंतिम बिदाई में कोई भी राजनीतिक पार्टी का बडा नेता शामिल नहीं हुआ था। ऐसे वीर सपूतों के लिए किसी के पास समय नहीं निकल पाया। उन्होंने गोवा मुक्ति आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई थी। यह एक ऐसा आंदोलन था जो गोवा , पुर्तगाली भारत में पुर्तगाली औपनिवेशिक शासन को समाप्त करने के लिए लड़ा गया था।
यह आंदोलन 19 वीं शताब्दी के छोटे पैमाने के विद्रोहों और विद्रोहों पर आधारित था, और 1940-1961 की अवधि के दौरान शक्तिशाली हो गया। गोवा मुक्ति संग्राम, गोवा मुक्ति आन्दोलन या गोवा मुक्ति संघर्ष से आशय उस सम्पूर्ण संघर्ष से है जो गोवा को पुर्तगाल से मुक्त कराने के लिये किया गया था। जब भारत के बड़े क्षेत्र पर अंग्रेज शासन कर रहे थे तब गोवा, दमन और दीव पर पुर्तगाल का शासन था। यह संघर्ष 19 वीं शताब्दी में ही छोटे स्तर पर आरम्भ हुआ था। उग्र रुप लेने के बाद यह आंदोलन अन्ततः दिसम्बर 1961 में भारतीय सेना के तीनों अंगों ने मिलकर गोवा को मुक्त करा लिया।