नागपुर: कार्रवाई नहीं - कैल्शियम कार्बाइड से आम पकाने का संदेह, सेहक के लिए हानिकारक
कई प्रजाति के आम आ रहे बाजार में
डिजिटल डेस्क, नागपुर. शहर के बाजारों में इन दिनों पीले आमों की भरमार है। लेकिन क्या यह आम सुरक्षित हैं? इसका जवाब खुद एफडीए के पास भी नहीं है, क्योंकि उनकी ओर से अब तक कोई भी सैंपल नहीं लिए हैं। हालांकि अधिकारी बागान की जांच करने का दावा कर रहे हैं। लेकिन सूत्र की मानें तो यह केवल कागजों तक सिमट कर रह गई है। ऐसे में बाजार में मिलनेवाले आम कैल्शियम कार्बाइड से पकाने की बात से इंकार नहीं किया जा सकता है।
बाजारों में विभिन्न प्रजाति के आम देखने मिल रहे हैं। इनमें दशहरी, चौसा, बादामी, लंगड़ा, तोतापरी, केसर, हापूस, बैगनफल्ली आदि प्रजाति शामिल हैं। नागपुर में इनमें आधे से ज्यादा प्रजाति के आम मिल रहे हैं। जोकि तेलंगाना, गुजरात, यूपी आदि जगहों से आने के साथ नागपुर के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से भी आते हैं। शहर के मुख्य बाजार मंडी कलमना मार्केट है, यहीं पर उक्त दिशाओं से पहले आम लाये जाते हैं, यहीं से छोटे विक्रेता शहरभर में आम बेचते हैं।
कैल्शियम कार्बाइड से पके आम हानिकारक
ज्यादा मुनाफे के चक्कर में आमों को पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड का इस्तेमाल किया जाता है। कैल्शियम कार्बाइड एक गैस एसिटिलीन बनाता है जो कि प्राकृतिक रूप से आमों में परिपक्वता के दौरान बनने वाली रासायनिक गैस एथिलीन से अलग होती है। जब कैल्शियम कार्बाइड से एसिटिलीन का निर्माण होता है तो इसमें कई तरह की जहरीली अशुद्धताएं होती हैं जो कि मानव शरीर के तंत्रिका तंत्र पर खासा प्रभाव डाल सकती हैं। कैल्शियम कार्बाइड को आम से भरे डिब्बों में डाला जाता है तो इन डिब्बों में एसिटिलीन गैस भर जाती है और यही गैस आमों को बाहरी तौर पर पका देती है। इससे आम की त्वचा हरी से पीली हो जाती है। कई जगह पर प्रतिबंधित होने की वजह से आमों को पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड के बजाए एथिलीन का प्रयोग किया जाता है लेकिन महंगा होने की वजह से अक्सर विक्रेता चोरी से कैल्शियम कार्बाइड का ही इस्तेमाल कर रहे हैं।
अभी तक 12 आम के बागान की जांच की
कृष्णा जयपुरकर, सह आयुक्त, अन्न व औषधि विभाग के मुताबिक बाजार में आनेवाले आम की सैंपलिंग करना बेकार है। क्योंकि अभी कैल्शियम कार्बाइड से आम नहीं पकाए जाते हैं। हमारी ओर से बाजार में जांच नहीं की है, लेकिन अभी तक 12 आम के बागान में जाकर जांच की गई है।
आम के सैंपल ही नहीं लिए
प्राकृतिक तौर पर आम को पकने में समय लगता है। ऐसे में कच्चे आम को पेड़ों से तोड़कर पकाया जाता है। नियमानुसार इन आमों को चाइना से आनेवाले इथिफॉस पावडर से पकाना जरूरी है। इससे पके आम सेहत के लिए सुरक्षित हैं। लेकिन कुछ विक्रेता सस्ता पड़ने से लापरवाही बरतते हुए कैल्शियम कार्बाइड गैस से आम को पकाते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार इस तरह पकाए आम खाना सेहत के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। ऐसे में इस तरह के आम बाजार में नहीं आएं इस पर ध्यान रखना अन्न व औषधि विभाग का काम है, लेकिन विभाग को ही इनकी सुरक्षा पर सवाल है। क्योंकि अभी तक बाजार में आम के सैंपल ही नहीं लिए गए हैं।