आदेश: विधायक के दबाव में एनआईटी ने दो धार्मिक स्थल तोड़ने का दिया नोटिस

  • राज्य महिला आयोग सदस्य आभा पांडे का पत्र-परिषद में आरोप
  • 3 दिन में तोड़ने का नोटिस जारी
  • अदालत के आदेश पर सुनाई

Bhaskar Hindi
Update: 2024-05-17 08:46 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर। गिड्डोबा नगर वाठोडा में दो धार्मिक स्थलों को 3 दिन में तोड़ने का एनआईटी ने नोटिस जारी किया है। स्थानीय विधायक के दबाव में एनआईटी के पूर्व विभागीय कार्यालय से नोटिस जारी करने का आरोप राज्य महिला अयोग सदस्य आभा पांडे ने पत्र-परिषद में लगाया।

ऐसे बनाया दबाव : पांडे ने बताया कि, गिड्डोबा नगर में मुख्य मार्ग पर अतिक्रमण किया गया था। बस्ती के नागरिकों ने अतिक्रमण हटाने मनपा से शिकायत की। संबंधित क्षेत्र मनपा के दायरे में नहीं आने से एनआईटी को शिकायत भेजी गई। एनआईटी के पूर्व विभागीय कार्यालय ने प्रत्यक्ष निरीक्षण कर पांधन रास्ते पर निर्माणकार्य करने पुष्टि होने पर अतिक्रमण हटा दिया। इस कार्रवाई से आहत अतिक्रमणधारक स्थानीय विधायक के पास पहुंचकर बचाव की गुहार लगाई। विधायक ने एनआईटी के पूर्व विभागीय कार्यालय के अधिकारी को फोन लगाकर ‘मैं इस क्षेत्र का विधायक हूं, मुझे बिना पूछे अतिक्रमण कैसे हटाया’ कहते हुए दम भरा। उसे प्रतिष्ठा का मुद्दा बनाकर परिसर के दो धार्मिक स्थल हटाने का दबाव बनाया। दोनों धार्मिक स्थलों को 3 दिन में तोड़ने का नोटिस जारी किया गया है।

नोटिस रद्द करने की मांग : सर्वोदय गृहनिर्माण सहकारी संस्था के खुले भूखंड पर बने बौद्ध विहार और हनुमान मंदिर को हटाकर 3 दिन में जगह खाली करने का एनआईटी ने नोटिस दिया है। 25 साल पुराना बौद्ध विहार पूर्व नागपुर में प्रबोधन का केंद्र है। बौद्ध विहार और हनुमान मंदिर की जगह खाली करने का नोटिस भेजने से नागरिकों में असंतोष है। दी बुद्धिस्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया के प्रदेश महासचिव राजकुमार वंजारी ने एनआईटी सभापति को ज्ञापन सौंपकर नोटिस रद्द करने की मांग की है।

अदालत के आदेश पर साल 2016 में अनधिकृत धार्मिक स्थलों की सूची बनाई गई थी। प्रशासन की ओर से अदालत में पेश की गई सूची में दोनों धार्मिक स्थलों का नाम नहीं है। शुक्रवार, 17 मई को दोनों धार्मिक स्थलों के सामने विरोध प्रदर्शन करने की पांडे ने चेतावनी दी। पत्र परिषद में प्रशांत अग्रवाल, संघपाल माटे, सतीष रामटेके, गजानन पराये उपस्थित थे। पांडे ने कहा कि, एनआईटी अधिकारियों ने विधायक के दबाव में आकर आनन-फानन में नोटिस भेजा। नोटिस में छूटी तकनीकी खामियों पर उन्हाेंने आपत्ति दर्ज की। पहली आपत्ति नोटिस किस तारीख को जारी किया गया, उसका पत्र में जिक्र नहीं है। दूसरी आपत्ति धारा 53/1 के तहत नोटिस जारी किया गया। जगह खाली करने के लिए 3 दिन की मोहलत दी गई। विधायक के दबाव में अधिकारी यह भी भूल गए कि, इस धारा के तहत न्यूनतम 30 दिन की मोहलत देना अनिवार्य है। मंदिर के अध्यक्ष को भेजा गया नोटिस किसी दूसरे व्यक्ति के नाम भेजा गया।

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