रोड़ा: माफियाओं को छूट सरकारी काम अटके

  • सिंचाई परियोजना पर लगी ब्रेक
  • लखमापुर में बांध निर्माण के लिए रेत घाट नियम का अड़ंगा

Bhaskar Hindi
Update: 2023-10-10 05:44 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर। राज्य भर में रेत की तस्करी पर रोकथाम और पर्यावरण सुरक्षा के लिहाज से नई नियमावली लागू की गई है। नई नियमावली में आम नागरिकों के साथ ही सरकारी प्रोजेक्ट के लिए रेत को आरक्षित कर रखा जा रहा है। जिले में करीब 39 रेत घाट से निकलने वाली रेत को डिपो में संवर्धन किया जा रहा है। इसके बाद आम नागरिकों को 600 रुपए प्रति ब्रॉस और सरकारी विभागों को निर्माणकार्य के लिए मुहैया कराने का प्रावधान है, लेकिन जिले के हिंगना तहसील में प्रस्तावित लखमापूर लघु बांध प्रकल्प को रेत नहीं मिलने से काम को रोकना पड़ा है। इतना ही नहीं, इस प्रोजेक्ट को रेत मुहैया कराने के लिए हिंगना के विधायक समीर मेघे ने जिलाधिकारी डॉ. विपिन ईटनकर समेत कई आला अधिकारियों को अवगत कराया, लेकिन व्यवस्था नहीं हो पाई। लखमापूर लघु बांध को जून 2024 में क्रियान्वित करने की अंतिम समय सीमा तय की गई है, लेकिन 230 परिवारों के पुर्नवास क्षेत्र और बांध निर्माण अब महज 300 ब्रॉस रेती के लिए अटक गया है।

नियमों का हवाला देने से मुश्किलें : हिंगना तहसील में कान्होलीबारा के समीप 6 एमएम क्यूब जलसंचय का बांध निर्माण के लिए 2007 में अनुमति दी गई थी, लेकिन कानूनी प्रक्रिया के चलते काम आरंभ नहीं हो पाया था। साल 2017 में प्रशासकीय मान्यता मिलने के बाद जलसंपदा विभाग ने दो ठेका एजेंसी को जिम्मेदारी दी है। बांध के निर्माणकार्य की जिम्मेदारी हरेकृष्ण कन्स्लटेंसी और पुर्नवास प्रक्रिया की सुविधा तैयार करने के लिए धुले की हुले कन्स्ट्रक्शन कंपनी को ठेका दिया गया है। दोनों निर्माणकार्य को पूरा करने के लिए करीब 500 ब्रॉस रेत की जरूरत है, लेकिन जिला प्रशासन से रेत की आवंटन प्रक्रिया में नियमों का हवाला देने से मुश्किलें आ रही हैं। नियमों के तहत रेत को पहले से 6,000 ब्रॉस आरक्षित करने की प्रक्रिया करनी होती है, लेकिन महज 500 ब्रॉस रेत के लिए आरक्षण प्रक्रिया का हवाला देने से मामला अटक गया है। अधिकारियों का दावा है कि रेत उपलब्ध होने पर जल्द ही निर्माणकार्य को सुचारू कर दिया जाएंगा।

जून 2024 में आरंभ होने पर संशय : जलसंपदा विभाग की ओर से हिंगना तहसील में कान्होलीबारा से 6 किमी दूरी पर स्थानीय नाले पर लखमापूर लघु बांध को प्रस्तावित किया गया है। इस बांध के लिए 230 परिवारों का पुर्नवास किया जा रहा है, जबकि अगले साल जून में बांध को निर्माणकार्य पूरा कर जलसंचय करने का लक्ष्य रखा गया है। बांध में जलसंचय के लिए राज्य महामार्ग का 3.50 किमी का हिस्सा भी जलमग्न होने की संभावना है। ऐसे में जलसंपदा विभाग ने लोकनिर्माण विभाग क्रमांक 2 के हिंगना उपविभाग को 750 मीटर रास्ते का ऊंचाईकरण कर दो पुल बनाने का निर्देश दिया है, लेकिन इस रास्ते के निर्माणकार्य के लिए भी रेत की उपलब्धता नहीं हो रही है।

रेत के लिए सरकारी नियम : राज्य सरकार के रेती घाट को लेकर नई नियमावली में सरकारी विभाग और नागरिकों को रेती मुहैया कराने का नियम बनाया गया है। आम नागरिक को 600 रुपए प्रति ब्रॉस की दर पर रेत मुहैया कराई जाएगी, जबकि सरकारी विभाग के प्रमुख अधिकारी को अपने प्रोजेक्ट के लिए 6,000 ब्रॉस तक आरक्षित कराना होता है। इस रेत को घाट से निकालकर कर संकलन के लिए भी मशीनों का इस्तेमाल करने पर पाबंदी समेत अनेक शर्त रखी गई है। ऐसे में जिले में कई स्थानों पर सरकारी कामों के लिए रेती की नियमावली बाधा निर्माण कर रही है।

260 हेक्टेयर में होगी सिंचाई सुविधा : सिंचाई प्रकल्प विभाग से हिंगना तहसील के लखमापूर में स्थानीय नाले पर जलसंपदा विभाग बांध निर्माणकार्य को साल 2008 में मंजूरी मिली है, लेकिन न्यायालयीन प्रक्रिया के चलते मामला अटका रहा है। जुलाई 2021 से 230 परिवारों को पुर्नवसन कर बुनियादी ढांचे को निर्माणकार्य करने की प्रक्रिया आरंभ की गई है। करीब 107 करोड़ की लागत की प्रशासकीय मान्यता से 6.61 एमएम क्यूब जलसंवर्धन क्षमता को तैयार किया जाएगा। लखमापूर प्रोजेक्ट से परिसर के 260 हेक्टेयर क्षेत्र में किसानों को सिंचाई के लिए 1.5 एमएम क्यूब जल आरक्षण होगा, जबकि 3 एमएम क्यूब जल को हिंगना एमआईडीसी में उद्योगों को आपूर्ति होना है। हालांकि इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में अब भी कई तकनीकी बाधाएं बनी हुई है। करीब 230 परिवारों के पुर्नवसन के साथ ही करीब 750 मीटर लंबे राज्य महामार्ग को भी विस्तारीकरण की आवश्यकता है।

जून 2024 तक बांध को पूर्ण करने का लक्ष्य :  लखमापुर बांध के लिए जून 2024 तक की समयावधि को निर्धारित किया गया है। बांध के निर्माणकार्य और पुर्नवसन में रेत को लेकर दिक्कत हो रही थी, लेकिन अब समस्या को जिलाधिकारी कार्यालय के माध्यम से सुलझा लिया जाएगा। 6 हजार ब्रॉस आरक्षित रेत में से जल्द ही आपूर्ति हो जाएगी। -सरला फरकाड़े, उपविभागीय अभियंता, जलसंपदा प्रोजेक्ट विभाग

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