फर्जी केस: कोर्ट में सेंध : जिसके आधार पर हुए फैसले गवाह, वकील, पीड़ित सभी "डमी' निकले
- जगदीश जैस्वाल के 55 डमी केसों की सच्चाई
- भास्कर पड़ताल में एक-एक की खुली पोल
- मिलीभगत आ रही सामने
सुनील हजारी ,नागपुर। जगदीश जैस्वाल की जिला कोर्ट में चल रही गैंग के फर्जी 55 केसों के मामले में भास्कर की पड़ताल में रोज नए खुलासे हो रहे हैं। जिसमें अंदाजा लगाया जा सकता है कि, कोर्ट जैसी पवित्र जगह में भी कैसे माफियाओं ने धड़ल्ले से खेल किए और जिनको इन्हें रोकना चाहिए था उन्होंने निजी फायदे के लिए उन्हें छूट दी। ऐसे 55 केसों में से कुछ मामलों में भास्कर ने पड़ताल की और उनसे जुड़े पात्रों को खोज निकाला। इसमें सामने आया कि, अधिकांश केसों में गवाह, वकील और पीड़ित सभी डमी थे। यानी असली नहीं थे और कोर्ट को धोखे में रखकर फैसले करवाए गए।
ऐसे संपर्क में आई गैंग : हुड़केश्वर थाना में 13.12.2023 को दर्ज एफआईआर के अनुसार कुमुद पोहनेकर ने 1982 में एक 1200 स्क्वेयर फीट का प्लॉट गोविंद प्रसाद पांडे से लिया था। इस पर निर्माणकार्य भी कर लिया। 2007 में जगदीश जैस्वाल, संजय पांडे का पता पूछते हुए उसके घर पहुंचा। उसने कुमुद को बताया कि, उनका प्लॉट दीपक गोंढ़ाने नामक व्यक्ति को बेच दिया है। इसकी पूरी जानकारी उसके पास है। उसने कहा- वह और उसका साथी रंजीत सारडे कोर्ट से मामले का सेटलमेंट करवा देगा, वहां उसकी सेटिंग भी है। कोर्ट का पूरा खर्च वह खुद उठाएगा और जीतने के बाद जो ठीक लगे, वह पैसे दे देना।
केस दायर करने के लिए कोरे वकालतनामों और कागजों पर साइन लिए : इसके बाद जगदीश ने 24.04.2007 को कुमुद को कोर्ट में केस दायर करने के लिए बुलाया और वहां 100 रुपए के स्टॉम्प पेपर और कुछ कोरे कागज और कोरे वकालतनामों पर साइन करवाए। संजय और दीपक पर केस करने के लिए यह सब साइन लेना बताया। 12.07.07 को जगदीश ने खबर दी केस दाखिल हो गई है।
कुछ साल बाद कहा- केस हार गए, अपील करना पड़ेगी, जबकि वह जीत चुके थे : कुछ साल बाद जगदीश जैस्वाल ने कुमुद को खबर दी कि, जो केस आरसीएस 787/2007। 2014 लगाया था, वह हार गए हैं, अब अपील करना जरूरी है। अपील के लिए 1 लाख रुपए ले लिए। कुमुद ने जगदीश से कोर्ट का ऑर्डर मांगा, तो टालमटोल करने लगा, जिससे उसको शक हुआ। इसके बाद कुमुद अपने वकील को लेकर कोर्ट गई, तो पता चला कि, वह तो केस जीत चुकी हैं। यह केस रंजीत सारडे लड़ रहा था, जिसे वह जानती नहीं है।
कुमुद चौंक गईं, जब कोर्ट का नाेटिस आया, जो केस लड़ रहा था वो प्लॉट का आखिर मालिक कैसे बन गया : 2017 में कुमुद को कोर्ट से नोटिस आया, जिसे देखकर उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। पता चला कि, जगदीश ने एक याचिका लगाई, जिसमें कहा है कि, उसे कुमद ने प्लॉट 1 लाख में उसे दिया था, जिसका पजेशन और रजिस्ट्री अब तक नहीं करवाई। जब वह कोर्ट पहुंचीं, तो खुलासा हुआ कि जिन कागजों पर उसने साइन किए थे, उसी से बेचने का फर्जी एग्रीमेंट बना दिया गया और एक स्टाम्प पर फर्जी कब्जानामा भी बना दिया गया। उसमें कुमुद की नकली साइन थी। एक और एग्रीमेंट बनाया जिसमें लिखा था कि, 32,500 ने शुरुआत में केस के लिए दिए हैं और बाकी 67 हजार 500 रजिस्ट्री के समय देंगे। इस पर भी कुमुद के नकली साइन थे।
कुमुद ने अपने वकील को लेकर कोर्ट में सच्चाई बताते हुए जवाब पेश किया : मामले में सच्चाई सामने आने के बाद कुमुद अपने वकील को लेकर कोर्ट पहुंचीं और उन्होंने कोर्ट को पूरी सच्चाई बताई और अपना जवाब पेश किया। जिसके बाद वह केस आज तक चल रहा है। हालांकि, इस मामले में कुमुद ने भास्कर को बताया कि, जगदीश ने ऑफर दिया है कि, उसे 20 लाख रुपए दो तो वह मामला वापस ले लेगा।
कुमुद ने पूरी गैंग की जानकारी पुलिस को दी, पुलिस कार्रवाई से बचती रही : कुमुद के अनुसार इस गैंग के कारनामों और अपने साथ हुए मामले की जानकारी हुड़केश्वर थाने दी और एफआईआर दर्ज करने को कहा। इसके बाद पुलिस जगदीश की गैंग को बचाती नजर आई। कुछ माह तक उसे लगातार टाला गया। मामला एसीपी गणेश विरादर के पास पहुंचा, तो उन्होंने भी प्रकरण दर्ज करने से मना कर दिया। उनका तर्क था कि, मामला सिविल का है। फिर यह मामला डीसीपी विजयकांत सागर के हस्तक्षेप के बाद पिछले माह 13 दिसंबर 2023 को मामला दर्ज हुआ। हालंाकि, अब तक पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया है।
"डमी' के रूप में खड़े हुए वकीलों ने कहा- गलती से केस में आ गए थे : उल्लेखनीय है कि, जगदीश मामले में अधिकांश केस में एक तरफ रंजीत सारडे केस लड़ते हैं, तो दूसरे पक्ष की तरफ से ‘डमी’ वकीलों के रूप में इस मामले में उनके ही साथी आर.एस.जाधव और बी.के. देशपांडे पहले ही स्वीकार कर चुके हैं कि, जगदीश जैस्वाल मामले में वे दूसरे पक्ष की तरफ से गलती से खड़े हो गए थे। वे जिस क्लाइंट के लिए खड़े हुए थे, उसको नहीं जानते।
गवाहों ने कहा- कुमुद को नहीं जानते, हमारे साइन ही गलत हैं
जगदीश के केस में मेरे सभी एग्रीमेंट पर फर्जी साइन हैं : जगदीश ने जो कुमुद का एग्रीमेंट बनाया था उसमें मेरा नाम और साइन हैं। मैं कुमुद को नहीं जानता, जगदीश को जानता हूं। जगदीश से जुड़े सभी तरह के एग्रीमेंट जिनमें मेरा नाम है, उसमें मेरे साइन फर्जी हैं। यह बात मैंने हुड़केश्वर और सदर थाने में भी बताई है। -सुनील अस्वार, गवाह
मैंने भी एग्रीमेंट पर साइन नहीं किए, किसी और के हैं : कोर्ट में जगदीश ने जो कुमुद के खिलाफ एग्रीमेंट पेश किया था उसमें मेरा नाम और साइन दिखाए हैं, मगर मैंने हकीकत में न तो साइन किए और न मैं उसमें था। मैंने भी पुलिसको ये बता दिया। रमेश बारई,गवाह
मैं अभी नई आई हूं, मुझे मामले की जानकारी नहीं है : मैं कुछ दिन पहले ही थाने में आई हूं, मुझे जगदीश के मामले में जानकारी नहीं है, मैं जानकारी लेने के बाद ही कुछ बता पाऊंगी। -शुभांगी देशमुख, पीआई, हुड़केश्वर