एहतियात: महाराष्ट्र के शहरी क्षेत्र में नक्सली घुसपैठ, बढ़ावा रोकने वालों की खैर नहीं: आईजी पाटील
- दस्तावेजों के हवाले से प्रमाण मिल रहे
- नेटवर्क तोड़ने का काम किया जा रहा है
- कमजोर स्लम बस्तियों में युवाओं के बीच सक्रियता
डिजिटल डेस्क , नागपुर। महाराष्ट्र के कुछ प्रमुख शहरों में नक्सली गतिविधियाें को बढ़ावा दिया जा रहा है। कुछ संगठन राजनीतिक व आर्थिक स्थिति से कमजोर स्लम बस्तियों में युवाओं के बीच सक्रियता देखी जा रही है। दस्तावेजों का हवाला देकर इसके कुछ प्रमाण मिलने का दावा नक्सल विरोधी अभियान के पुलिस महानिरीक्षक संदीप पाटील ने मंगलवार को चुनिंदा पत्रकारों से बात करते हुए किया है। शहरी क्षेत्र में नक्सली विचारधारा फैलने पर उन्होंने गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा है समाज को इसकी चिंता करने की जरूरत नहीं है, उनकी सुरक्षा के लिए पुलिस प्रतिबद्ध है।
नेटवर्क के जरिए भ्रमित कर रहे : बरामद दस्तावेजों के आधार पर उन्होंने कहा है कि महाराष्ट्र के प्रमुख शहर नागपुर, पुणे, नाशिक, मुंबई और गोंदिया जैसे शहरों में नक्सली घुसपैठ होने के प्रमाण मिले हैं। माओवादी विचारधारा से जुड़े कुछ संगठन राजनीतिक व आर्थिक दृष्टि से कमजोर युवाओं को निशाना बनाकर इसका बीज बो रहे हैं। अपने नेटवर्क के जरिए वह युवाओं को भ्रमित कर रहे हैं। उनके द्वारा धन जुटाना, शस्त्र, गोला-बारूद खरीदी करना, जंगली क्षेत्र में सुरक्षित स्थान तलाशना, चिकित्सा सेवा उपलब्ध करना आदि कार्य किए जा रहे हैं।
कुछ संगठन पुलिस के निशाने पर : इसके लिए घरेलू कलह और गरीब घर के युवाओं को भ्रमित कर इससे जोड़ा जा रहा है। उनके नेटवर्क को तोड़ने का काम किया जा रहा है। कुछ संगठन पुलिस के निशाने पर हैं। जरूरत पड़ने पर ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
वकीलों के सत्यापन प्रक्रिया का विरोध बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र एंड गोवा ने वकीलों को सत्यापन अर्जी दायर करने के निर्देश दिए गए हैं। वकीलों के इस सत्यापन प्रक्रिया का हाई कोर्ट बार एसोसिएशन नागपुर (एचसीबीए) ने विरोध किया है। साथ ही एचसीबीए ने बार काउंसिल आॅफ महाराष्ट्र एंड गोवा के अध्यक्ष को इस संदर्भ में निवेदन सौंपा है।
एक माह के भीतर अर्जी दायर करने के निर्देश हैं : बार काउंसिल आॅफ महाराष्ट्र एंड गोवा ने पब्लिक नोटिस जारी कर 30 जनवरी 2024 तक वकील व्यवसाय में पांच वर्ष या उससे अधिक अनुभव वाले वकीलों को एक माह के भीतर सत्यापन अर्जी दायर करने के निर्देश दिए हैं। दस्तावेजों के साथ 500 रुपए का डीडी भी मांगा गया है। कुछ साल पहले ही वकीलों की ऐसी ही सत्यापन प्रक्रिया पूरी की गई है, इसलिए एचसीबीए के अध्यक्ष एड. अतुल पांडे और सचिव एड. अमोल जलतारे ने ऐसी सत्यापन प्रक्रिया की जरूरत नहीं होने की जानकारी निवेदन में दी। 500 रुपए के डीडी की मांग पर भी एचसीबीए ने आपत्ति जताई है। कहा- यहां के अधिकांश वकील तहसील और ग्रामीण क्षेत्र से आते हैं। ई-फाइलिंग, गैजेट खरीदना, इंटरनेट आदि को लेकर वकीलों पर पहले ही तनाव है। एचसीबीए यह भी कहा कि, सत्यापन प्रक्रिया पहले ही पूरी हुई है, ऐसे में वकीलाें को सत्यापन अर्जी फिर से दायर करने के िलए कहना स्वीकार्य नहीं है।