Nagpur News: आरपीआई आठवले के कार्यकर्ताओं में असंतोष, महायुति के लिए काम नहीं करने का निर्णय

  • कार्यकर्ताओं ने महायुति को लेकर असंतोष व्यक्त किया
  • महायुति के लिए काम नहीं करने का निर्णय
  • महायुति के संबंध में आठवले अपनी भूमिका स्पष्ट करें

Bhaskar Hindi
Update: 2024-11-03 14:33 GMT

Nagpur News : केंद्रीय राज्यमंत्री रामदास आठवले के नेतृत्व की रिपब्लिकन पार्टी आफ इंडिया के कार्यकर्ताओं ने महायुति को लेकर असंतोष व्यक्त किया है। विधानसभा चुनाव में महायुति के लिए काम नहीं करने का निर्णय लिया है। आठवले को इस संबंध में जानकारी देते हुए मांग की है कि महायुति के संबंध में आठवले अपनी भूमिका स्पष्ट करें।

आरपीआई को सम्मान नहीं मिला

शनिवार को आरपीआई आठवले के राष्ट्रीय संगठन सचिव भूपेश थूलकर ने पत्रकार वार्ता में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि विदर्भ के प्रमुख पार्टी पदाधिकारियों की बैठक में महायुति के संबंध में निर्णय लिया गया है। आरपीआई कार्यकर्ता राजनीतिक तौर पर स्वयं को उपेक्षित मानने लगे हैं। 10 वर्ष से आरपीआई भाजपा व महायुति के साथ है, लेकिन आरपीआई को सम्मान नहीं मिला है। विधानसभा चुनाव के लिए महायुति ने कलीना सीट आरपीआई को दी है। लेकिन वहां उम्मीदवार को भाजपा के चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ना पड़ रहा है। उम्मीदवार अमरजीतसिंह गहरवार वैसे भी आरपीआई के नहीं हैं। वह संघ के कार्यकर्ता हैं। राज्य में किसी भी विधानसभा क्षेत्र में महायुति ने आरपीआई कार्यकर्ता को उम्मीदवारी नहीं दी है। लोकसभा चुनाव में स्वयं रामदास आठवले ने उम्मीदवारी मांगी थी। शिर्डी या सोलापुर सीट देने को कहा गया था, लेकिन आरपीआई को एक भी सीट नहीं दी गई। अारपीआई के प्रमुख नेता की मांग ही नहीं मानी जा रही है तो कार्यकर्ताओं को महायुति में कैसे सम्मान मिल पायेगा। पिछले दिनाें राज्यपाल ने विधानपरिषद के लिए 7 सदस्य नियुक्त किए गए, उसमें भी आरपीआई कार्यकर्ता को स्थान नहीं मिल पाया। 30 से 32 महामंडलों के अध्यक्ष व सदस्य नियुक्त किए गए, उनमें भी आरपीआई कार्यकर्ता को स्थान नहीं मिला है।

कांग्रेस-राकांपा ने दिया था स्थान

थूलकर ने कहा कि कांग्रेस व राकांपा ने आरपीआई को कुछ हद तक सम्मान दिया था। कांग्रेस गठबंधन में आरपीआई के 4 लोकसभा सदस्य चुने गए थे। विधानपरिषद में आरपीआई के 5 कार्यकर्ताओं को स्थान दिया गया था। महामंडलों में भी आरपीआई कार्यकर्ताओं को स्थान िमला था। भाजपा से गठबंधन भले ही वैचारिक विषय पर नहीं है, लेकिन व्यवहारिक तौर पर भी सम्मान नहीं मिल पा रहा है। 28 अक्टूबर को नागपुर में भाजपा उम्मीदवार के नामांकन के समय संविधान चौक पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने जो नारेबाजी की वह अनुचित थी।

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