Nagpur News: किस मुद्दे का चलेगा जादू और मतदाता किसे सौंपेंगे सत्ता की चाबी - लाड़ली योजना या बागी

  • डबल इंजन सरकार के दांव की परीक्षा
  • मराठा आरक्षण गले की फांस

Bhaskar Hindi
Update: 2024-10-20 13:49 GMT

Nagpur News : अजय त्रिपाठी | महाराष्ट्र विधानसभा के चुनावी दंगल में मुख्य मुकाबला दो गठबंधनों महायुति और महा विकास आघाड़ी की टीमों के बीच है। तकरीबन 6 माह पहले हुए लोकसभा के चुनाव में महा विकास आघाड़ी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए महायुति पर मनोवैज्ञानिक बढ़त बना रखी है। लेकिन, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की महायुति सरकार ने जुलाई माह में लाडली बहन योजना लागू करके जो मास्टरस्ट्रोक चला है, उसे राजनीतिक पंडित गेम चेंजर मानकर चल रहे हैं।

डबल इंजन सरकार के दांव की परीक्षा

1 साल पहले हुए मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में गेम चेंजर रही 'लाडली बहना योजना' की कॉपी करते हुए एकनाथ शिंदे सरकार ने महाराष्ट्र में भी मुख्यमंत्री 'माझी लड़की बहन योजना' लागू करके जीत के लिए मास्टर स्टॉक चला है। महाराष्ट्र की महायुति की सरकार ने 1500 रुपये मासिक की आर्थिक सहायता वाली इस योजना को जुलाई में लागू किया था। अभी तक इस योजना में पांच किस्त जारी कर दी गई है, जिसका लाभ राज्य की लगभग 35 लाख महिलाओं को मिल रहा है। इसी तरह किसानों के बिजली बिल माफी सहित 22 अन्य योजनाओं की घोषणा भी बीजेपी और राकांपा (अजीत पवार) के समर्थन वाली शिंदे सरकार ने महाराष्ट्र के मतदाताओं के लिये की है। इसके अलावा महायुति डबल इंजन सरकार के फायदे भी गिना रही है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले का कहना है, "मुख्यमंत्री माझी लाडली बहन योजना और किसानों के बिजली के बिल माफी जैसी योजना लोगों में खूब पसंद की जा रही है। अगर महा विकास आघाडी सत्ता में आ गई तो वह केंद्र सरकार से मदद नहीं लगी और राज्य की जनता का नुकसान होगा।" महा विकास आघाडी का सबसे बड़ा दांव मराठा सहित अन्य जातियों के आरक्षण को लेकर है।

मराठा आरक्षण गले की फांस

राज्य के अब तक के 20 मुख्यमंत्रियों में से 11 मराठा समुदाय से रहे है। राज्य की विधानसभा में 1962 से मराठाओं का प्रतिनिधित्व 60 फीसदी से भी ज्यादा रहा है। पिछले कुछ सालों से राज्य में मराठा समुदाय को आरक्षण देने की मांग जमकर हो रही है। इसके लिए राज्य में लगातार आंदोलन किया जा रहा है। इस आंदोलन के सबसे बड़े नेता मनोज जरांगे की मांग है कि सभी मराठाओं को कुनबी जाति का प्रमाण पत्र दिया जाए जिससे मराठा समुदाय ओबीसी आरक्षण का लाभ उठा सके। लेकिन, महाराष्ट्र का ओबीसी समुदाय इसका विरोध कर रहा है जिस वजह से मराठाओं और ओबीसी समुदाय के बीच संघर्ष की स्थिती उत्पन्न हो रही है।माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में मराठा आरक्षण एक प्रमुख मुद्दा होगा। अब देखना होगा कि 20 नवंबर को राज्य का मतदाता कि गठबंधन के पक्ष में मतदान करता है और जब 23 नवंबर को नतीजे आएंगे तो महाराष्ट्र की सत्ता की कुर्सी का सिरमौर कौन होगा? इस बीच दोनों ही गठबंधन के नेता टिकट बंटवारे की कवायद से उबर कर जनता के बीच अपने-अपने दावे और वादे लेकर प्रचार के लिए पहुंचेंगे। 

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