Nagpur News: प्रदूषित हवा का शिकार नागपुर, फेफड़े के कैंसर का प्रमुख कारण बना धुम्रपान - डॉ. मेश्राम

  • बीमारी के 85 फीसदी मामले में होती है पुष्टि
  • प्रदूषित हवा का शिकार हो रहा नागपुर

Bhaskar Hindi
Update: 2024-09-24 13:55 GMT

Nagpur News : धुम्रपान फेंफडे के कैंसर का प्रमुख कारण है। 85 फीसदी कैंसर के मामले में धुम्रपान को कारण माना गया है। नागपुर देश के प्रमुख शहरों में से एक है। पिछले कुछ सालों में नागपुर प्रदूषित हवा का शिकार हो गया है। शहरीकरण, औद्योगिक विकास योजनाएं, यातायात आदि के चलते शुद्ध हवा की गुणवत्ता कम होते जा रही है। वहीं प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। हवा में फैलनेवाले प्रदूषण का मुख्य कारण वाहनों से होनेवाला उत्सर्जन, निर्माण कार्य की धूल-मिट्‌टी, औद्योगिक प्रदूषण, घनकचरा जलाना, बायोमास व गैरजरुरी कृषि-वनौपज का दहन आदि से हवा में जहर घुल रहा है। ऐसा शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल (मेडिकल) के पल्मोनरी, क्रिटिकल व स्लीप मेडिसिन विभाग प्रमुख प्राध्यापक डॉ. सुशांत एच. मेश्राम ने कहा है। हर साल 25 सितंबर को वर्ल्ड लंग डे (विश्व फेफड़ा दिवस) मनाया जाता है। इस बार की थीम ‘सभी के स्वच्छ हवा और स्वस्थ्य फेफड़े’ हैं।

दमा, अस्थमा, सीओपीडी सामान्य बीमारियां

डॉ. मेश्राम ने बताया कि नागपुर में वायु प्रदूषण के कारण नागपुरवासियों के स्वास्थ्य पर दुष्परिणाम होने लगा है। अध्ययन के दौरान पता चला है कि वायु प्रदूषण के कारण दमा, अस्थमा, सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव्ह पल्मोनरी डिसीज) और फेफडें के कैंसर के अलावा श्वसन संबंधित अन्य बीमारियों का प्रमाण बढ़ा है। इसका सर्वाधिक असर बच्चों व वृद्धों पर होगा है। हवा में शामिल तत्व पीएम टू प्वाइंट फाइव और पीएम टेन फेफड़े में प्रवेश करते है। इससे दीर्घकालीन स्वास्थ्य समस्या पैदा होती है। उपराजधानी की एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) के स्तर में चढ़-उतार होते रहता है। सर्दियों के दिनों में हवा की गुणवत्ता खराब होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पार्टिक्यूलेट मैटर की सुरक्षा के लिए मार्गदर्शक तत्व जारी किये है, लेकिन इन तत्वों को कोई नहीं मानता। इससे बीमारियों को खतरा बना रहता है। नागपुर की हवा का गुणवत्ता निर्देशांक 74 है जो, विश्व स्वास्थ्य संगठन की निर्धारित मानक सीमा से डेढ़ पट अधिक है।

 

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