Nagpur News: कोविड में उपयोगी साबित हुआ श्वसन संबंधी कोर्स रद्द करना गंभीर, नागपुर खंडपीठ ने भेजा नोटिस
- नेशनल मेडिकल कमीशन को नोटिस जारी
- हाईकोर्ट ने टिप्पणी में कहा मामला गंभीर
- श्वसन संबंधी कोर्स कर दिए गए रद्द
Nagpur News : एमबीबीएस कोर्स के रेस्पिरेटरी मेडिसिन, फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन और इमरजेंसी मेडिसिन इन तीन आवश्यक विषयों के विभागों को रद्द करने के केंद्र सरकार के फैसले को बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में चुनौती दी गई है। बुधवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने श्वसन संबंधी विभागों को रद्द करने के फैसले पर संज्ञान लेते हुए अपनी मौखिक टिप्पणी में कहा की, ये बहुत ही महत्वपूर्ण विषय हैं। कोविड महामारी में इसकी उपयोगिता सभी ने देखी है। इसके बावजूद ऐसे महत्वपूर्ण विषय को बंद करना काफी गंभीर बात है। साथ ही कोर्ट ने इस मामले में नए सिरे से नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) और अंडर ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन बोर्ड को नोटिस जारी करते हुए जवाब दाखिल करने के आदेश दिए।
याचिका पर बुधवार को न्या. भारती डांगरे और न्या. अभय मंत्री के समक्ष सुनवाई हुई। खंडपीठ में इंडियन चेस्ट सोसायटी और इंडियन एसोसिएशन ऑफ फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन की ओर से यह जनहित याचिका दायर की गई है। याचिका के अनुसार, पहले मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के मुताबिक, एमबीबीएस कोर्स के लिए ये तीन विभाग अनिवार्य थे। 8 अगस्त, 2019 से मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के स्थान पर नेशनल मेडिकल कमीशन अस्तित्व में आया। कमीशन ने 16 अगस्त, 2023 को नए दिशानिर्देश जारी किए, जिसमें संबंधित तीन विभागों को आवश्यक विभागों की सूची से बाहर कर दिया गया। याचिका में दावा किया गया है कि यह फैसला असंवैधानिक और अन्यायपूर्ण है। साथ ही याचिकाकर्ता ने कोर्ट से इस फैसले को रद्द करने का अनुरोध किया है।
इस जनहित याचिका में कोर्ट ने केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने का आदेश दिया था। हालांकि, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने इस संबंध में कोई जवाब दाखिल नहीं किया और न ही समय बढ़ाने की मांग की। इसलिए पिछली सुनवाई में कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए आखिरी मौका दिया था। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा था कि, अगर जवाब दाखिल नहीं किया तो खिलाफ फैसला दिया जाएगा। मामले पर आज बुधवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने उक्त आदेश जारी किए। याचिकाकर्ताओं की ओर से एड. तुषार मंडलेकर और केंद्र सरकार की ओर से डेप्युटी सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया नंदेश देशपांडे ने पैरवी की।