Nagpur News: चुनावी किस्सा - विरोधियों के दुष्प्रचार ने एक कलाकार को बना दिया विधायक
- पूर्व विधायक यशवंत बाजीराव के साथ बात
- यशवंत बाजीराव ने सुनाया चुनावी किस्सा
- दुष्प्रचार ने एक कलाकार को बना दिया विधायक
Nagpur News : पूर्व विधायक यशवंत बाजीराव ने पत्रकार रघुनाथसिंह लोधी से बातचीत के दौरान बताया कि नब्बे का दशक भारतीय राजनीति के लिए उथलपुथल भरा था। कांग्रेस को घेरने के मोर्चे खुले थे। भाजपा मंदिर आंदोलन का रथ लेकर चल रही थी। जनता दल के नेतृत्व में केंद्र की सत्ता हिचकोले खा रही थी। उस दौरान 1990 के विधानसभा चुनाव में मध्य नागपुर में रोचक मुकाबला हुआ। विरोधियों के दुष्प्रचार ने नाट्य कलाकार और कुश्ती खिलाड़ी को विधायक बना दिया। जनता दल के उम्मीदवार यशवंत बाजीराव ने महज 6 मतों के अंतर से कांग्रेस उम्मीदवार अनीस अहमद को पराजित कर दिया। अध्ययनकाल में नाट्य कलाकार रहे बाजीराव ने नारी तुझी अजब कहानी और रंग माझा वेगड़ा मराठी फिल्म में अभिनय किया है। दोनों फिल्म बाजीराव की कंपनी यमुना फिल्मस ने निर्माण किया है। उनका चुनरी मेरी उड़ गई रे हिंदी एलबम भी हिट रहा है। कुश्ती की राष्ट्रीय स्पर्धा में वे शामिल रहे है।
बाजीराव के चुनाव प्रचार में सबसे अधिक सामान्य कार्यकर्ता थे। बड़े नेता के तौर पर मुफ्ती मोहम्मद सईद मध्य नागपुर में पहुंचे लेकर चुनाव प्रचार का समय समाप्त होने से बिना प्रचार किए ही उन्हें लौटना पड़ा था। कांग्रेस और शिवसेना उम्मीदवार के सामने चुनौती खड़ी करने का प्रयास किया जा रहा था। बाजीराव के लिए चुनावी बाजी जीत पाना लगभग मुश्किल माना जा रहा था। सट्टा बाजार में बाजीराव के नाम पर 1 के बदले 30 का भाव दिया जा रहा था। मतदान के पहले कांग्रेस के कुछ नेताओं ने बाजीराव का निजी विरोध शुरु कर दिया। समाचार पत्र में विज्ञापन छपवाये गए। उनका नाम साईकिल चोरों के साथ जोड़ा गया। वह प्रचार कांग्रेस को महंगा पड़ा। समाज की प्रतिष्ठा का विषय प्रभावी हो गया। लिहाजा, बाजीराव ने बतौर उम्मीदवार बढ़त बना ली। बाजीराव की जीत को न्यायालय में चुनौती दी गई। लेकिन न्यायालय में भी वे ही जीते। उनकी जीत ने सट्टा बाजार के कई खिलाड़ियों को भी पराजित कर दिया। विधायक रहते बाजीराव की पहचान हैंडपंप वाले नेता की बनी थी। उन्होंने क्षेत्र में 250 से अधिक हैंडपंप बनवाये थे।