Nagpur News: खतरनाक हो रहा एसटी का सफर, महीनों से नहीं मिली नई बसें - सुरक्षा पर सवाल
- एसटी बसों में नहीं कोई सुविधा
- नियमों काे ठेंगा दिखाती हैं ऐसी बसें
Nagpur News : गोंदिया जा रही एसटी महामंडल की शिवशाही बस शुक्रवार को पलट गई थी। हादसे में 11 यात्रियों की जान चली गई। 29 यात्री घायल हो गये थे। हादसे की जांच चल रही है, लेकिन बस की हालत खराब होने की बात से कोई इनकार भी नहीं कर रहा है। यह बस भंडारा डिपो की थी। नागपुर विभाग की बसों की हालत भी बहुत अच्छी नहीं है। लंबे समय से नई बसें नहीं मिलने से पुरानी बसों को ही दौड़ाया जा रहा है, जिससे कभी भी हादसे की आशंका बनी रहती है।
बीच रास्ते में बंद हो जाती हैं
एक समय ऐसा था जब एसटी महामंडल की बसों की सफर की लोग गारंटी देते थे। अब स्थिति और है। लंबे समय से नई बसें नहीं आने से जर्जर बसों से ही यात्रियों को ढोया जा रहा है। कुछ बसें इतनी खराब स्थिति में है, कि वह चल ही नहीं सकती है। ऐसी कई कबाड़ घोषित बसें हैं। वर्तमान में नागपुर विभाग में 430 बसें हैं। इसमें आधी जर्जर स्थिति में पहुंच गई हैं। आए दिन आधे रास्ते में बंद पड़ जाती हैं। कई बार तो बसों में आग लगने की घटनाएं भी हुई हैं। पंक्चर से लेकर लोड नहीं लेना, इन बसों में आए दिन की समस्या है। यात्री परेशान होते रहते हैं और प्रशासन आज-कल गिनता रहता है। ऐसे में इन जर्जर बसों से सफर हादसों की पुनरावृत्ति का साफ संकेत दे रहा है।
एसटी बसों में नहीं कोई सुविधा
नियमानुसार इन बसों में फर्स्ट ट्रीटमेंट बॉक्स होना जरूरी है, ताकि कहीं भी दुर्घटना हो तो यात्रियों का उपचार किया जा सके। गाड़ियों अग्निशमन यंत्र का होना भी जरूरी है, जिससे आग लगने जैसी घटनाओं पर बढ़ने से पहले रोका जा सके। बस के गेट पर सीसीटीवी कैमरा रहना जरूरी है, ताकि किसी भी तरह की अापराधिक गतिविधियों को देखा जा सके। आपातकालीन स्थिति में बाहर निकलने के लिए इमरजेंसी डोर का होना जरूरी है, लेकिन नागपुर विभाग के अधिकतर बसों में यह सुविधा नहीं है। यहां तक की ड्राइवरों की सीट तक फटी है, जिससे इन्हें ठीक से बैठकर बस चलाना भी मुश्किल हो रहा है। इस संबंध में एसटी महामंडल के विभाग नियंत्रक विनोद चावरे से संपर्क करने पर कोई प्रतिसाद नहीं मिला।
नियमों काे ठेंगा दिखाती हैं ऐसी बसें
आरटीओ नियमानुसार, बसों में सीट के अनुसार बैठे यात्रियों के अलावा अधिकतम 10 यात्री ही खड़े हो सकते हैं। इतनी ही क्षमता से बसों को गंतव्य की ओर बढ़ाना जरूरी है, लेकिन नागपुर के गणेशपेठ बस स्टैंड पर नजर दौड़ाए तो यहां से निकलने वाली बसों में ठसाठस यात्री भरे नजर आते हैं। शहर आरटीओ को इन पर कार्रवाई करने तक की फुर्सत नहीं। आरटीओ विभाग की ओर से इस ओर ध्यान भी नहीं दिया जा रहा है। लाल बसों में 45 प्लस 10 के स्थान पर ठसाठस यात्री ढोने का मतलब दुर्घटना को निमंत्रण देना है।