Nagpur News: पुलिस पाटिल के तीसरे बच्चे पर विवाद, अदालत ने विभागीय आयुक्त का आदेश किया रद्द

  • हाईकोर्ट पहुंचा मामला
  • याचिका में यह दावा

Bhaskar Hindi
Update: 2024-09-24 14:39 GMT

Nagpur News : तीसरे बच्चे को लेकर राज्य सरकार ने महाराष्ट्र सिविल सेवा (छोटे परिवार की घोषणा) 2005 के नियमों को स्पष्ट रूप से पुलिस पाटिल पर लागू किया है। इसका आधार लेते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने याचिकाकर्ता की शिकायत अर्जी खारिज करने के उपविभागीय अधिकारी उमरेड और विभागीय आयुक्त नागपुर के आदेश को रद्द किया। साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता की अर्जी पर नये सिरे से निर्णय लेने का उपविभागीय अधिकारी को आदेश दिया। न्या. अनिल पानसरे ने यह फैसला दिया।

याचिका में यह दावा

नागपुर खंडपीठ में राकेश माथ्रे ने यह याचिका दायर की थी। याचिका के अनुसार, याचिकाकर्ता ने पुलिस पाटिल अशोक तालेकर के खिलाफ उपविभागीय अधिकारी के समक्ष शिकायत दर्ज कराई, जिसमें अनुचित व्यवहार और तीसरा बच्चा पैदा करके परिवार बढ़ाने का आरोप लगाया गया। यह महाराष्ट्र सिविल सेवा (छोटे परिवार की घोषणा) 2005 के नियमों का उल्लंघन होने का दावा भी किया।

पक्ष में यह दलीलें

मामले पर हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट के समक्ष दलील रखते हुए याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि, 2005 के नियम ग्रुप ए से ग्रुप डी तक के सरकारी/लोक सेवकों पर लागू हैं। अतुल रामदास डाबरे बनाम महाराष्ट्र राज्य एवं अन्य के मामले में इस न्यायालय की खंडपीठ ने रिट याचिका में माना है कि पुलिस पाटिल महाराष्ट्र ग्राम पुलिस पाटिल अधिनियम, 1967 के अर्थ में लोक सेवक हैं। साथ ही गृह विभाग मंत्रालय द्वारा पारित 16 अगस्त 2024 का आदेश न्यायालय के संज्ञान में लाया गया है। उक्त आदेश द्वारा पुलिस पाटिल की नियुक्ति के लिए 2005 के नियम लागू किए गए हैं। राज्य सरकार ने पूर्वोक्त आदेश के तहत 2005 के नियमों को स्पष्ट रूप से पुलिस पाटिल पर लागू किया है। इसलिए कोर्ट ने विभागीय आयुक्त तथा उपविभागीय अधिकारी का आदेश रद्द करने का फैसला दिया। इसके अलावा कोर्ट ने उपविभागीय अधिकारी को याचिकाकर्ता की अर्जी पर नए से निर्णय लेने को कहा। इसके लिए याचिकाकर्ता को 1 अक्टूबर 2024 को उपविभागीय अधिकारी के समक्ष उपस्थित रहना है।

हाई कोर्ट पहुंचा मामला

2005 के नियम के प्रावधान के तहत यदि किसी व्यक्ति के 2005 के बाद दो से अधिक बच्चे हैं, तो वह राज्य सरकार में नौकरी के पात्र नहीं है। उपविभागीय अधिकारी ने पुलिस पाटिल तालेकर की नियुक्ति वर्ष 1999 में हुई थी और इसलिए, 2005 के नियम के प्रावधान लागू नहीं होते हैं, इस आधार पर शिकायत को खारिज कर दिया। इस आदेश के खिलाफ याचिकाकर्ता ने विभागीय आयुक्त के पास अपील दायर की थी, लेकिन विभागीय आयुक्त ने भी अपील खारिज कर दी। इसलिए याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।



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